प्रस्तावित बिजली सुधारों पर ममता बनर्जी का विरोध, बिजली मंत्री आरके सिंह ने कसा तंज, जानें क्या कहा
प्रस्तावित बिजली सुधारों पर ममता बनर्जी के आरोपों पर केंद्र सरकार ने पलटवार किया है। बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि संभवत ममता को उनके कार्यालय ने सही तरीके से ब्रीफिंग नहीं दी है। इस रिपोर्ट में पढ़ें आरके सिंह का पूरा बयान...
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का मोदी सरकार की नीतियों के विरोध का राजनीतिक मंतव्य समझ में आता है लेकिन क्या वह विरोध करने के लिए उन तथ्यों को भी नजरअंदाज कर देती हैं जो बतौर मुख्यमंत्री उनकी प्रशासनिक कुशलता के लिए बहुत जरूरी हैं। उन्होंने केंद्र के बिजली सुधार को लेकर उठाये जाने वाले कदमों के विरोध में पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा कि प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी संशोधन विधेयक-2021 के बारे में राज्य सरकार से कोई चर्चा ही नहीं की गई।
...लगता है आपके कार्यालय ने सही जानकारी नहीं दी
हालांकि हकीकत यह है कि केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने ना सिर्फ इस पर बंगाल समेत सभी राज्यों से कई बार चर्चा की है बल्कि प्रस्तावित विधेयक के मसौदे को भी राज्य सरकारों से साझा किया था। इस आधार पर बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि संभवत: ममता को उनके कार्यालय ने सही तरीके से ब्रीफिंग नहीं दी है।
सभी राज्यों के सुझावों के बाद ही अंतिम रूप दिया
बिजली मंत्री ने 13 सितंबर, 2021 को भेजे गये इस पत्र में लिखा है कि प्रस्तावित विधेयक पर सभी राज्यों के सुझाव मिलने के बाद ही उसे अंतिम रूप दिया गया है। पत्र में ममता बनर्जी के इस आरोप को कई उदाहरणों के साथ खारिज किया गया कि विधेयक लागू होने के बाद देश में बिजली की कीमतों में इजाफा होगा।
बिजली वितरण क्षेत्र में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा
उन्होंने लिखा कि इस विधेयक से बिजली वितरण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा, लोग बेहतर सेवा वाली वितरण कंपनी को चुनेंगे। केंद्रीय बिजली मंत्री ने इस आरोप को भी खारिज किया है कि वितरण कंपनियों को बेतहाशा कीमत तय करने की छूट होगी क्योंकि हर क्षेत्र के लिए अधिकतम बिजली शुल्क की सीमा तय होगी। इसलिए यह सवाल ही नहीं है कि बिजली की दरें बढ़ेंगी बल्कि उनमें कमी होगी।
ममता से पूछा सवाल
आरके सिंह ने कोलकाता का उदाहरण दिया है जहां एक ही बिजली वितरण कंपनी की व्यवस्था है और यह शहर देश के सबसे ज्यादा बिजली दर वाले शहरों में गिना जाता है। आगे उन्होंने लिखा है कि आप निजी कंपनियों को क्यों बचाना चाहती हैं, यह स्पष्ट नहीं है।
जारी रहेगी क्रास सब्सिडी की व्यवस्था
पत्र में बिजली मंत्री ने यह भी लिखा है कि क्रास सब्सिडी की व्यवस्था जैसा अभी चल रहा है वैसा ही आगे चलता रहेगा। अतिरिक्त क्रास सब्सिडी की राशि को राज्य सरकार की तरफ से नामित एजेंसी के पास जमा कराया जाएगा। यह पिछड़े इलाकों की बेहतरी में इस्तेमाल होगा। साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि यह देश में पहली बार नहीं है कि एक सर्किल में एक से ज्यादा वितरण एजेंसी स्थापित करने की बात हो रही है। मुंबई में पहले से ऐसी व्यवस्था है।
कंपनियों के खराब प्रदर्शन की तरफ इशारा
बिजली वितरण कंपनी के एकाधिकार की स्थिति में बिजली वितरण कंपनियों के खराब प्रदर्शन की तरफ इशारा करते हुए आरके सिंह ने लिखा है कि बंगाल राज्य बिजली विकास निगम सिर्फ 81.43 फीसद बिजली कनेक्शन की ही बिलिंग कर पाता है जबकि राष्ट्रीय औसत 85.36 फीसद है।
बिजली शुल्क कम करने में मदद मिलेगी
राज्य में ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रिब्यूशन से हानि 20.40 फीसद है और यह सबसे ज्यादा हानि वाले राज्यों में शामिल है। वर्ष 2019-20 में डब्लूबीएसईडीसी को 1867 करोड़ रुपये की हानि हुई थी। इस सबके बावजूद प्रस्तावित विधेयक मौजूदा वितरण कंपनियों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाता है। बस यह बदलाव होगा कि अब उस सेक्टर में दूसरी बिजली वितरण कंपनियां भी काम करने लगेंगी। ये बेहतर सर्विस देंगी। साथ ही बिजली शुल्क कम करने में मदद मिलेगी।