Coronavirus: मलेशिया भी आया रास्ते पर, भारत से मांगा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन
मलेशिया ने भारत से इसकी आपूर्ति का आग्रह किया है और दोनो देशों के रिश्तों को रणनीतिक महत्व का बता कर यह संकेत दिया है कि कश्मीर को लेकर उसका रुख भी बदलेगा।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कश्मीर को लेकर मलेशिया का रवैया भारत के लिए एक बड़ी चिंता का कारण था लेकिन अब इस मुस्लिम बहुल देश का रवैया बदलता नजर आ रहा है। नि:संदेह इसके पीछे पूर्व पीएम महाथिर मोहम्मद का सत्ता से बेदखल होने ने अहम भूमिका निभाई है लेकिन कोविड-19 से जूझते मलेशिया को भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन चाहिए।
दोनों देश पिछले कुछ महीनों के मतभेद को भुला कर आगे बढ़ने को तैयार
मलेशिया ने भारत से इसकी आपूर्ति का आग्रह किया है और दोनो देशों के रिश्तों को रणनीतिक महत्व का बता कर यह संकेत दिया है कि कश्मीर को लेकर उसका रुख भी बदलेगा। बुधवार को मलेशिया की राजधानी कुआल्लमपुर में भारतीय उच्चायुक्त मृदुल कुमार ने विदेश मंत्री हिशामुद्दीन हुसैन से मुलाकात की और जो संकेत है वे साफ है कि दोनो देश पिछले कुछ महीनों को भुला कर आगे बढ़ने को तैयार हैं।
यासिन सरकार भारत के हितों के खिलाफ उठाये गए कदमों पर लगाई थी रोक
मार्च के पहले हफ्ते में मलेशिया में राजनीतिक बदलाव हुआ है जिससे वहां मुहिद्दीन यासिन की अगुवाई में नई सरकार बनी है। यासिन की सरकार ने सत्ता में आते ही भारत के हितों के खिलाफ उठाये जाने वाले कदमों पर रोक लगा दी है। पूर्व पीएम महाथिर मोहम्मद जहां बार बार कश्मीर का मुद्दा उठा रहे थे वहीं नई सरकार ने साफ कहा है कि भारत उसका अहम रणनीतिक साझेदार देश है। इस संकेत को भांपते हुए ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की पाबंदी होने के बावजूद मलेशियाई सरकार को अपने नागरिकों को यहां से ले जाने की इजाजत दी।
मलेशिया में फंसे भारतीयों को निकालने में की सहूलियत
इसके बाद वहां की सरकार ने भी मलेशिया में फंसे भारतीयों को निकालने की सहूलियत दी और साथ ही अभी जो भारतीय वहां फंसे हुए हैं उन्हें सही तरीके से रखने में भारतीय दूतावास को अनुमति दी। मलेशिया के विदेश मंत्री ने भारत को इसके लिए खास तौर पर धन्यवाद दिया है। कोविड-19 के इलाज में कारगर समझी जाने वाली दवा एचसीक्यू की मांग भी मलेशिया ने की है और माना जा रहा है कि भारत उसे भी इसकी आपूर्ति करेगा।
भारत सरकार के फैसले के खिलाफ उठाई थी आवाज
सनद रहे कि पूर्व पीएम महाथिर ने पहले जाकिर नाईक के मामले में और उसके बाद कश्मीर मसला उठा कर भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ काम किया था। सितंबर, 2019 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कश्मीर से धारा 370 हटाने के भारत सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठाई। बाद में जब भारत ने नागरिकता संशोधन कानून पारित किया तो इसके खिलाफ भी बोले।
भारत का कूटनीतिक प्रतिकार आया काम
असलियत में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान व तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगेन के साथ मिल कर उन्होंने भारत के खिलाफ एक तिकड़ी बनाने की कोशिश की। भारत ने इसका कूटनीतिक प्रतिकार किया और मलेशिया से पाम आयल खरीदने पर गैर शुल्कीय अवरोध भी खड़ा कर दिया है। आने वाले दिनों में दोनो देशों को पाम आयल आयात के साथ ही भगोड़ा कट्टरपंथी जाकिर नाईक के प्रत्यर्पण पर बात करनी होगी।