राजनीतिक झगड़ा खत्म करने के लिए अलागिरी की बड़ी पहल, स्टालिन को नेता मानने को तैयार
2014 में तत्कालीन द्रमुक अध्यक्ष करुणानिधि द्वारा पार्टी से निकाले जाने के बाद अलागिरी राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं।
मदुरै, प्रेट्र। द्रमुक अध्यक्ष और छोटे भाई एमके स्टालिन के साथ चल रहे झगड़े को खत्म करने के लिए एमके अलागिरी ने बड़ी पहल की है। अलागिरी ने कहा है कि अगर उनको पार्टी में वापस लिया जाता है तो वे स्टालिन को अपना नेता मानने को तैयार हैं। 2014 में तत्कालीन द्रमुक अध्यक्ष करुणानिधि द्वारा पार्टी से निकाले जाने के बाद अलागिरी राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि न तो उन्हें और न उनके पुत्र दुरई दयानिधि को पार्टी में किसी पद की लालसा है। वह और उनके समर्थक पार्टी के बड़े नेताओं के साथ काम करने को तैयार हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे स्टालिन का नेतृत्व स्वीकार करेंगे तो उन्होंने साफ कहा कि अगर मैं पार्टी में रहूंगा तो मैं उनका नेतृत्व स्वीकार करूंगा। हालांकि, अलागिरी ने स्पष्ट किया कि उनको यह नहीं पता कि कौन उन्हें पार्टी में आने से रोकना चाहता है।
जब उनका ध्यान द्रमुक की आमसभा द्वारा स्टालिन को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने जाने की तरफ दिलाया गया तो उन्होंने कहा कि यह पूरी पार्टी नहीं है और न उसके 1500 सदस्य द्रमुक का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनका कहना था कि पार्टी का काडर उनके साथ है। अगले महीने होने वाली रैली में काडर मेरे और नजदीक आएगा। करुणानिधि को चाहने वाले मेरी तरफ हैं।
अलागिरी ने पार्टी को चेतावनी दी कि अगर उनको पार्टी में नहीं लिया जाता तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि पांच सितंबर को करुणानिधि के स्मारक पर एक रैली का आयोजन किया है जिसमें लगभग एक लाख से अधिक लोग शामिल होंगे। रैली के बाद पार्टी नेताओं से मंत्रणा करके अगला कदम उठाया जाएगा।