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Maharashtra Political Crisis: चुनाव परिणाम से राष्ट्रपति शासन तक की बड़ी बातें

Maharashtra Political Crisis महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आए। इसके बाद से राज्य में सियासी फेरबदल लगातार जारी है। पिछले 20 दिनों में लगातार समीकरण बदलते रहे।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 03:09 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 07:23 AM (IST)
Maharashtra Political Crisis: चुनाव परिणाम से राष्ट्रपति शासन तक की बड़ी बातें
Maharashtra Political Crisis: चुनाव परिणाम से राष्ट्रपति शासन तक की बड़ी बातें

मुंबई, [जागरण स्पेशल] Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए। इसके बाद से राज्य में सियासी फेरबदल लगातार जारी है। पिछले 20 दिनों में लगातार समीकरण बदलता रहा। इसकी शुरुआत नतीजों के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर तकरार से  हुई। इस गतिरोध ने ऐसा जोर पकड़ा कि रोजाना समीकरण बदलते रहे। यही नहीं दोनों के बीच 30 साल का गठबंधन टूटा, लेकिन फिर भी सरकार नहीं बनी और राज्य में अब राष्ट्रपति शासन प्रभावी है। आइए नज़र डालते हैं सियासी फेरबदल के 20 दिन पर।

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24 अक्टूबर : चुनाव परिणाम घोषित हुए

24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित हुए। इस दौरान भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। भाजपा ने 105 सीटें जीती और उसके साथी शिवसेना को 56 सीटें मिली। भाजपा-शिवसेना गठबंधन के पास बहुमत था। आसानी से इनकी सरकार बनती दिखाई दे रही थी। इस दौरान राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 54 और उसके सहयोगी कांग्रेस को 44 सीटें मिली।   

25 अक्टूबर : शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले का जिन्न बाहर निकाला

नतीजे आने के अगले दिन शिवसेना ने अपने पिटारे से 50-50 फॉर्मूला यानी ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का जिन्न बाहर निकाला। शिवसेना ने कहा कि इसी शर्त के तहत उसका चुनाव से पूर्व भाजपा के साथ गठबंधन हुआ था।

26 अक्टूबर : भाजपा ने कहा- शिवसेना से नहीं हुआ कोई समझौता

भाजपा ने साफ किया कि चुनाव से पहले शिवसेना के साथ गठबंधन बगैर किसी शर्त के हुआ।

27 अक्टूबर : फडणवीस बोले- पांच साल भाजपा का ही होगा मुख्यमंत्री 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कह दिया कि राज्य में अगले पांच साल तक भाजपा का ही सीएम होगा।

28 अक्टूबर : राज्यपाल से अलग-अलग मिलीं दोनों पार्टी

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता दिवाकर राउत ने अलग-अलग मुलाकात की।  

29 अक्टूबर : शिवसेना को लुभाने की कोशिश, भाजपा का नया ऑफर

50-50 के फॉर्मूले पर अड़ी शिवसेना को लुभाने के लिए भाजपा ने उसे नया ऑफर दिया। इस ऑफर के तहत मुख्यमंत्री भाजपा का और उपमुख्यमंत्री शिवसेना से बनाया जाना था। शिवसेना अपने मांग पर डटी रही। उसने ये ऑफर ठुकरा दिया। 

30 अक्टूबर : फडणवीस को भाजपा ने विधायक दल का नेता चुना

भाजपा ने जारी गतिरोध के बीच फडणवीस को अपना विधायक दल का नेता चुना। साफ किया कि पांच साल तक सीएम फडणवीस ही होंगे।

31 अक्टूबर : 50-50 के फॉर्मूले से पीछे नहीं हटेंगे- शिवसेना

शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ किया पार्टी 50-50 के फॉर्मूले से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए वो अपनी मांग के साथ ही आगे बढ़ेंगे। 

1 नवंबर : राउत बोले- अपने दम पर बना सकते हैं सरकार

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि अगर पार्टी चाहे तो वो अपने दम पर राज्य में सरकार बना सकती है। 

2 नवंबर : उद्धव ठाकरे और शरद पवार की बातचीत

भाजपा के साथ खींचतान के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से फोन पर बातचीत की।

3 नवंबर: शिवसेना ने कहा हमारे पास 170 विधायक

शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया कि उनके पास 170 विधायकों का समर्थन है, जो 175 तक भी पहुंच सकता है।

4 नवंबर: पवार बोले- भाजपा और शिवसेना बनाएं सरकार

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि जिन पार्टियों (शिवसेना और भाजपा) के पास संख्याबल है। उन्हें जल्द सरकार बनानी चाहिए।

5 नवंबर: आदित्य ठाकरे के सीएम बनाने के पोस्टर लगे

राज्य में जगह-जगह उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर पोस्टर लगाए गए। आदित्य वर्ली से विधायक चुने गए हैं।  

6 नवंबर: पवार बोले- विपक्ष की भूमिका अदा करेंगे 

पवार ने कहा कि भाजपा और शिवसेना को जनता ने बहुमत दिया है। इन्हें सरकार बनाने का जनादेश मिला है। हम पांच साल मजबूत विपक्ष की भूमिका अदा करेंगे।  

7 नवंबर: राउत बोले- भाजपा स्पष्ट करे वह सरकार बनाने में सक्षम है या नहीं

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि वो सरकार बनाने में सक्षम है या नहीं। इसके बाद पता चलेगा कि किसके पास क्या आंकड़े हैं।

8 नवंबर : फडणवीस ने सीएम पद से इस्तीफा दिया

शिवसेना से जारी गतिरोध के बीच फडणवीस ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उन्होंने शिवसेना की काफी आलोचना की। 

9 नवंबर : विधानसभा कार्यकाल खत्म, राज्यपाल ने भाजपा को किया आमंत्रित

विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो गया। राज्यपाल कोश्यारी ने सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया। भाजपा को 48 घंटे का समय मिला।

10 नवंबर : भाजपा ने सरकार बनाने से किया मना, शिवसेना को न्योता

भाजपा ने सरकार बनाने के लिए दावा पेश नहीं किया। इसके बाद राज्यपाल ने शिवसेना को आमंत्रित किया। 

11 नवंबर : एनडीए से बाहर हुई शिवसेना, लेकिन सरकार बनाने में असमर्थ 

एनसीपी से समर्थन के संकेत पर शिवसेना एनडीए अलग हो गई। मोदी कैबिनेट में एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भी वो सरकार बनाने में असमर्थ रही। सरकार बनाने के दावा किया। पर उसके पास संबंधित पार्टियों का समर्थन पत्र नहीं था। राज्यपाल से उसने और समय मांगा, लेकिन राज्यपाल ने मांग नहीं मानी। इसके बाद राज्यपाल ने रात को लगभग आठ बजे एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। 

12 नवंबर : राष्ट्रपति शासन लागू

एनसीपी को दावा साबित करने के लिए मंगलवार रात 8.30 बजे तक का समय मिला, लेकिन राज्यपाल ने इससे छह घंटे पहले ही राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी। जानकारी के अनुसार एनसीपी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर और समय मांगा। राज्यपाल ने कहा कि राज्य में सरकार बनती नहीं दिख रही है। शिवसेना राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने राज्य में सरकार बनाने की पूरी कोशिश की।


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