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महाराष्‍ट्र सरकार ने चीन को दिया बड़ा झटका, ठंडे बस्ते में डाले पांच हजार करोड़ के प्रोजेक्ट

एलएसी पर चीन के साथ तनातनी के बीच महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ हाल ही में हुए तीन बड़ी परियोजनाओं पर हुए करार पर रोक लगा दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 04:22 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 05:02 AM (IST)
महाराष्‍ट्र सरकार ने चीन को दिया बड़ा झटका, ठंडे बस्ते में डाले पांच हजार करोड़ के प्रोजेक्ट
महाराष्‍ट्र सरकार ने चीन को दिया बड़ा झटका, ठंडे बस्ते में डाले पांच हजार करोड़ के प्रोजेक्ट

मुंबई, जेएनएन। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ तनातनी के बीच महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray government) ने चीनी कंपनियों के साथ हाल ही में हुए तीन बड़ी परियोजनाओं पर हुए करार को ठंडे बस्‍ते में डाल दिया है। ये करार पांच हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की परियोजनाओं से संबंधित थे। हाल में 'मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0 इन्वेस्टर' समिट (Magnetic Maharashtra 2.0 investor Summit) के दौरान इन परियोजनाओं को लेकर कॉन्‍ट्रैक्‍ट साइन हुए थे। 

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गलवन घाटी झड़प से पहले हुए थे करार 

महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री (Maharashtra Industry Minister) सुभाष देसाई (Subhash Desai) ने बताया कि ये करार भारत-चीन सीमा पर 20 भारतीय जवानों के शहीद होने से पहले किए गए थे जिन्‍हें होल्‍ड पर रखा गया है। पिछले सोमवार को डील के दौरान ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में चीनी राजदूत सुन वीडोंग भी शामिल थे। इनमें से 3,770 करोड़ रुपये का एक करार चीन के ग्रेट वाल मोटर्स (Great Wall Motors, GWM) के साथ था। वित्तमंत्री के अनुसार, ये करार रद नहीं किए गए हैं लेकिन इन पर यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया गया है। 

पुणे में लगना था ऑटोमोबाइल प्लांट 

ग्रेट वाल मोटर्स (Great Wall Motors) के साथ हुए करार में पुणे के करीब तालेगांव में एक ऑटोमोबाइल प्लांट लगाने की बात थी। दूसरा करार पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी और फोटोन (चीन) का संयुक्‍त उपक्रम था। यह करार 1000 करोड़ रुपये का था। सरकार की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, इससे 1500 नौकरियां उपलब्ध होतीं। इसके अलावा 250 करोड़ रुपये का एक अन्‍य करार चीनी कंपनी हेंगली इंजीनियरिंग के साथ था।  

कुल 12 करार हुए थे साइन 

महाराष्ट्र सरकार की ओर से 'मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0' समिट का आयोजन राज्य की अर्थव्यवस्था (Maharashtra economy) को तेजी देने के प्रयास के लिए आयोजित किया गया था। इसमें सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, अमेरिका एवं अन्य भारतीय कंपनियों के साथ लगभग 16,000 करोड़ रुपयों के कुल 12 करार पर हस्ताक्षर हुए थे। इनमें भारत, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया के साथ तीन कंपनियां चीन की भी थीं। 

चीन के खिलाफ भारी आक्रोश 

लद्दाख विवाद के बाद चीन के खिलाफ देश में भारी आक्रोश है। देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं और चीनी सामानों का बायकॉट हो रहा है... उनकी होली जलाई जा रही है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के साथ हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि भारत शांति चाहता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम कमजोर हैं। 

केंद्र की सलाह पर लिया फैसला 

उद्योग मंत्री सुभाष देसाई के अनुसार, केंद्र सरकार से सलाह करके ही इन समझौतों पर अभी आगे न बढ़ने का फैसला किया गया था। ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने साथ ही पीएम मोदी को इस मसले पर साथ देने का भरोसा देते हुए कहा था कि हमारी सरकार चीन को जवाब देने में सक्षम है। भारत मजबूत है... मजबूर नहीं। वहीं, बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतिश कुमार (Bihar chief minister Nitish Kumar) ने कहा था कि चीन के साथ व्‍यापारिक समझौतों की समीक्षा की जानी चाहिए। 

चीनी कंपनियों के भाग लेने पर टेंडर प्रक्रिया रद

इस बीच मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने भी मोनो रेल के 10 रेक मंगाने के लिए शुरू की गई टेंडर प्रकिया रद कर दी है। इसमें दो चीनी कंपनियां भाग ले रही थीं। हालांकि इसके कारण एमएमआरडीए को मोनो रेल परियोजना में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। क्योंकि अभी मुंबई की मोनो रेल में चल रहे रेक मलेशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म स्कोमी इंजीनियरिंग और लार्सन एंड टूब्रो द्वारा निर्मित हैं। एमएमआरडीए के साथ नियमानुसार काम न करने के कारण स्कोमी इंजीनियरिंग को ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है।

गोवा सरकार भी ले सकती है बड़ा फैसला 

इसी प्रकार गोवा के सार्वजनिक निर्माण मंत्री दीपक पाउस्कर ने भी कहा है कि दक्षिण गोवा की जुआरी नदी पर बन रहे आठ लेन वाले एक पुल के निर्माण में कंसल्टेंसी फर्म के रूप में काम कर रही एक चीनी कंपनी को इस परियोजना से बाहर करने पर विचार किया जा रहा है। यदि इसमें लग रहे सामान के आयात पर प्रतिबंध लगता है, तो वह सामान भी किसी अन्य देश से मंगाएंगे अथवा देश में उपलब्ध सामान से ही काम पूरा करेंगे। यह पुल अप्रैल 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसका नामकरण पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर‍िकर के नाम पर होना है।


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