Maharashtra Politics: फडणवीस सरकार के तुरंत बहुमत साबित करने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से पेश दलीलों पर कहा कि मुद्दा इतना है कि सरकार को सदन का बहुमत प्राप्त है कि नहीं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री नियुक्ति करने पर सवाल उठाने और 24 घंटे के अंदर उन्हें सदन मे बहुमत साबित करने का आदेश मांगने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। शिवसेना, एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) और कांग्रेस ने संयुक्त याचिका दाखिल कर कोर्ट से ये मांग रखी है।
दोनों पत्र कोर्ट में पेश
सोमवार को राज्यपाल की ओर से देवेन्द्र फडणवीस का सरकार बनाने का दावा करने वाला और राज्यपाल का उन्हें सरकार बनाने का न्योता देना वाले दोनों पत्र कोर्ट में पेश किये गए। कोर्ट ने पत्र देखने और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
राज्यपाल ने अपने विवेकाधिकार से फडनवीज को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था
सोमवार को राज्यपाल सचिवालय की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एनवी रमना, अशोक भूषण और संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष राज्यपाल और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के सरकार बनाने का न्योता और दावा करने वाले पत्र पेश किये। मेहता ने कहा कि राज्यपाल ने अपने विवेकाधिकार से संतुष्ट होने के बाद देवेन्द्र फडणवीस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था।
22 नवंबर को फडनवीज ने 170 विधायकों का समर्थन पत्र देकर किया सरकार बनाने का दावा
उन्होंने कहा कि 24 अक्टूबर से 9 नवंबर तक जब किसी ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया। तब राज्यपाल ने 9 नवंबर को सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया लेकिन भाजपा ने असमर्थता जाहिर की। इसके बाद 10 नवंबर को शिवसेना और 11 नवंबर को एनसीपी को आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने भी असमर्थता जता दी तब 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा। उसके बाद 22 नवंबर को फडणवीस ने भाजपा की ओर से सरकार बनाने का दावा किया उन्होंने भाजपा के 105, एनसीपी के 54 और 11 निर्दलीय व अन्य कुल 170 विधायकों का समर्थन होने का पत्र दिया। उनके अलावा अजीत पवार ने एक पत्र दिया जिसमें उन्होंने स्वयं को एनसीपी विधायक दल का नेता बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी देवेन्द्र फडणवीस की सरकार को समर्थन देती है।
एनसीपी के 54 विधायकों का समर्थन पत्र पवार ने राज्यपाल को सौंपा था
पवार ने कहा कि उनकी पार्टी ने उन्हें फैसला लेने के लिए अधिकृत किया है। पवार ने समर्थन पत्र के साथ 54 विधायकों के हस्ताक्षर का पत्र भी संलग्न किया था। राज्यपाल ने संतुष्ट होने के बाद फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।
राज्यपाल के विवेकाधिकार को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती
मेहता ने कहा कि संविधान के मुताबिक राज्यपाल के इस विवेकाधिकार को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने मेहता की ओर से पेश दोनों मूल पत्रों और उसके अनुवाद को देखा।
राज्यपाल ने संतुष्ट होने के बाद फैसला लिया
इसके अलावा देवेन्द्र फडणवीस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की याचिका का भारी विरोध करते हुए कहा कि पेश दस्तावेज देखने से कोर्ट को पता चल गया होगा कि राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्योता पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद दिया था। याचिकाकर्ता यह नहीं कह रहे कि राज्यपाल के समक्ष पेश किये गए दस्तावेज फर्जी थे। ऐसे में अगर वे दस्तावेज सही थे और राज्यपाल ने संतुष्ट होने के बाद फैसला लिया तो अब कोर्ट को इस पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
याचिकाकर्ता हार्सट्रेडिंग कर रहे हैं
रोहतगी ने कहा कि ये कैसे कह सकतें हैं कि जिस दिन अजीत पवार ने राज्यपाल को पत्र दिया था उस दिन विधायक उनकी ओर थे और अब हमारी ओर आ गए हैं इसलिए तत्काल सदन में बहुमत परीक्षण कराया जाए और अगर 24 घंटे के अंदर बहुमत नहीं कराया गया तो विधायक चले जाएंगे। इस तरह देखा जाए तो याचिकाकर्ता हार्सट्रेडिंग कर रहे हैं।
रोहतगी ने कहा- राज्यपाल का फैसला सही
रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल का फैसला बिल्कुल सही है जिन्होंने 14 दिन का समय दिया है। आखिर इतनी जल्दबाजी किस बात की है। हमें याचिका का जवाब देने के लिए 3-4 दिन का समय दिया जाए।
कोर्ट स्पीकर को आदेश नहीं दे सकता
उन्होंने कहा कि कोर्ट स्पीकर को आदेश नहीं दे सकता। सदन की कार्यवाही की न्यायिक समीक्षा भी नहीं हो सकती। तुषार मेहता ने भी जवाब के लिए कोर्ट से समय देने की मांग की।
अजीत पवार ने कहा मैं ही हूं एनसीपी विधायक दल का नेता
सुनवाई के दौरान उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि वह ही एनसीपी के विधायक दल के नेता हैं और वही एनसीपी हैं। उन्हें अधिकार था और उन्होंने सरकार को समर्थन दिया। और जब सब चीज सही है तो कोर्ट को इस मामले की सुनवाई बंद कर देनी चाहिए।
मनु सिंघवी ने कहा- यह लोकतंत्र से धोखा है
एनसीपी और कांग्रेस की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अजीत पवार ने जो किया है वह लोकतंत्र से धोखा है। उन्होंने राज्यपाल को समर्थन का पत्र दिया और विधायकों के हस्ताक्षर सौंपे उन हस्ताक्षरों के साथ विधायकों की ओर से समर्थन देने का कवरिंग लैटर नहीं था। उसमें एक लाइन भी नहीं लिखी है कि वे सब भाजपा को समर्थन दे रहे हैं।
कोर्ट ने हलफनामे को लेने से किया इन्कार
उन्होने कोर्ट से कहा कि वह अभी एक अर्जी दे रहें हैं जिसके साथ तीन दलों के कुल 154 विधायकों के शपथ पत्र साथ में संलग्न हैं कोर्ट उन्हें देख सकता है। इस अर्जी और हलफनामों का मुकुल रोहतगी ने विरोध किया और कहा कि ये ऐसे नहीं दिये जा सकते। रोहतगी का विरोध देखते हुए कोर्ट ने सिंघवी की ओर से पेश किये जा रहे हलफनामे और अर्जी स्वीकार करने से इन्कार कर दिया।
सिब्बल ने कहा- कोर्ट आदेश दे कि प्रोटेम स्पीकर ही बहुमत कराए
सिब्बल ने पूरा घटनाक्रम बताते हुए फडणवीस को मुख्यमंत्री नियुक्त करने पर सवाल उठाया। कहा कोर्ट आदेश दे कि प्रोटेम स्पीकर ही बहुमत कराए और तुरंत बहुमत साबित होना चाहिए।
सवाल सिर्फ इतना, बहुमत है कि नहीं
कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से की जा रही आतिशी दलीलों पर कहा कि दोनों पक्ष मामले को बहुत विस्तृत करते जा रहे हैं जबकि कोर्ट के सामने सिर्फ सीमित मुद्दा इतना है कि सरकार को सदन का बहुमत प्राप्त है कि नहीं।