किसान कर्जमाफी: जानिए, कितने किसानों को होगा फायदा, सरकार पर कितना आएगा बोझ
मध्य प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी का फैसला कांग्रेस सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही हो सकता है। कर्ज माफी जून 2009 के बाद के कर्जदार किसानों की होगी।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी का फैसला कांग्रेस सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही हो सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को इसके संकेत दिए। वहीं, मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने भी कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों से इसकी तैयारी के बारे में पूछा है। बताया जा रहा है कि कर्ज माफी जून 2009 के बाद के कर्जदार किसानों की होगी। इसमें लगभग 33 लाख किसानों को फायदा होगा। बताया जा रहा है कि इससे लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का वित्तीय भार सरकार पर आएगा।
सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश के किसानों पर सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, ग्रामीण विकास बैंक और निजी बैंकों का 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। इसमें 56 हजार करोड़ रुपये का कर्ज 41 लाख किसानों ने लिया है। वहीं, लगभग 15 हजार करोड़ रुपये डूबत कर्ज (एनपीए) है। कर्ज माफी के लिए फिलहाल जिस फॉर्मूले पर मंथन हो रहा है, उसमें डूबत कर्ज को माफ करने के साथ नियमित कर्ज पर लगभग 25 हजार रुपये प्रोत्साहन दिया जाएगा।
सिर्फ खेती के लिए लिया कर्ज होगा माफ
- किसानों द्वारा ट्रैक्टर व कुआं सहित अन्य उपकरणों के लिए कर्ज लिया गया है तो उसे कर्ज माफी के दायरे में नहीं लिया जाएगा।
- सिर्फ खेती के लिए उठाए कर्ज पर माफी मिलेगी।
- इसमें भी यदि किसान ने दो या तीन बैंक से कर्ज ले रखा है तो सिर्फ सहकारी बैंक का कर्ज माफ होगा।
- कर्ज माफी कुल दो लाख रुपये तक ही होगी।
- इसके लिए पहले किसान को कालातीत बकाया राशि बैंक को वापस लौटानी होगी।
- हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इस बारे में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री बनने और उनके साथ होने वाली बैठक में होगा।
यूपीए सरकार की योजना बनेगी आधार
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने कर्ज माफी की जो योजना लागू की थी, वही मप्र में कर्ज माफी योजना का आधार बनेगी। यूपीए सरकार के वक्त भी कालातीत कर्ज ही माफ हुआ था। कर्नाटक में जरूर नियमित कर्ज पर प्रोत्साहन राशि दी गई है। इसे यहां भी अपनाया जा सकता है।
बैंकों से मांगा ब्योरा
कर्ज माफी के मद्देनजर सभी बैंकों से सहकारिता विभाग ने कर्जदार किसानों और राशि का ब्योरा मांग लिया है। इसके लिए सहकारी बैंकों को सहकारिता विभाग की ओर से एक प्रपत्र भेजा गया है। इसमें किसानों पर मौजूदा और कालातीत कर्ज की जानकारी देनी है।