मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता भड़के, कहा-राहुल गांधी को उत्तर-दक्षिण भारत की तुलना करने का अधिकार नहीं
मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी के बयान को अनुचित करार दिया है। हाल ही में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के संयोजक आजाद सिंह डबास ने राहुल गांधी की टिप्पणी को राजनीतिक रूप से गलत बताया है।
नई दिल्ली, जागरण टीम। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के उत्तर भारत को लेकर दिए विवादित बयान को लेकर पूरी पार्टी बंटी नजर आ रही है। पहले से असंतुष्ट चल रहे नेता इस बयान को पार्टी के लिए जहां आत्मघाती मान रहे हैं, वहीं नेतृत्व को नाराज करने से बच रहे नेता इसमें भी संभावना तलाशने में जुटे हैं।
आजाद सिंह ने कहा, उत्तर भारतीयों की समझ पर सवाल उठाना गलत
मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी के बयान को अनुचित करार दिया है। हाल ही में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के संयोजक आजाद सिंह डबास ने राहुल गांधी की टिप्पणी को राजनीतिक रूप से गलत बताया है। उन्होंने कहा कि बोलते वक्त उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि इसका असर क्या होगा। लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
मध्य प्रदेश के नेताओं ने राहुल गांधी के बयान को बताया अनुचित
वहीं, 2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने वाले कांग्रेस के सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ के संयोजक अजय दुबे का कहना है कि कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। राहुल गांधी के इस वक्तव्य ने उन अनगिनत मतदाताओं की भावनाओं को आघात पहुंचाया है, जो अब भी कांग्रेस के पक्ष में मतदान करते हैं। उन्हें यह तुलना करने का अधिकार कतई नहीं है। उन्होंने गांधी के सलाहकार मंडल पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया जो यह नहीं पहचान पाता है कि कौन सी बात कही जानी चाहिए और कौन सी नहीं। दुबे भी कांग्रेस की कार्यप्रणाली को लेकर कई बार नाराजगी जाहिर कर चुके हैं और पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल दल के पूर्व नेता प्रदीप माथुर कहते हैं कि यह बात अनायास ही राहुल के मुंह से निकल गई होगी। यह कोई अधिकृत बयान नहीं कहा जा सकता। बिहार कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने उल्टे आलोचना करने वालों की समझ पर सवाल उठा दिया।
यह कहा था राहुल ने
राहुल गांधी ने बीते दिनों केरल में कहा था, 'मैं 15 वर्ष उत्तर भारत में सांसद रहा। वहां अलग तरह की राजनीति की आदत हो गई थी, जबकि यहां (केरल) के लोग मुद्दों की गहरी समझ रखते हैं।'