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मध्य प्रदेश उपचुनाव: 28 विधानसभा सीटों पर 3 को मतदान, 10 नवंबर को आएगा फैसला

3 नवंबर को मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है जिसका परिणाम 10 नवंबर को आएगा। 2018 में मध्य प्रदेश की इन 28 सीटों पर हुए चुनाव में से 27 पर कांग्रेस की जीत हुई थी।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 12:56 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 12:56 PM (IST)
मध्य प्रदेश उपचुनाव: 28 विधानसभा सीटों पर 3 को मतदान, 10 नवंबर को आएगा फैसला
3 नवंबर को मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव

नई दिल्ली, एजेंसी। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में से 27 पर 2018 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व था लेकिन गत माह मार्च में कांग्रेस विधायक (Congress MLAs)  भारतीय जनता पार्टी (BJP)  में शामिल हो गए थे जिससे यहां की 28 सीटों में से 25 सीटें खाली हो गई। इसके कारण कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई और  पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर राज्य की कमान संभाल ली।  विधायकों के निधन के कारण तीन अन्य सीट खाली पड़े थे। वैसे तो ये चुनाव सितंबर में ही आयोजित होना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इनकी तारीखें आगे बढ़ाई गई। 

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सदन में बहुमत के लिए भाजपा को 9 सीटों की जरूरत

इस उपचुनाव के परिणाम पर प्रमुख नेताओं शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union minister Narendra Singh Tomar) का राजनीतिक भविष्य टिका है। राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 107 सीट हैं और 4 स्वतंत्र सीटों का समर्थन है। इसके अलावा दो बहुजन समाज पार्टी  (BSP) के विधायक हैं और एक समाजवादी पार्टी  के निलंबित विधायक। अकेले राज्य सरकार बनाने की चाहत रखने वाली BJP को 28 में से 9 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी।  अभी 230 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में 202 सदस्य हैं। इसमें भाजपा के 107, कांग्रेस के 88, बसपा के दो, सपा का एक तथा चार निर्दलीय विधायक हैं। इसके मद्देनजर सदन में बहुमत के लिए भाजपा को मात्र 9 सीटों की जरूरत है। वहीं कांग्रेस को दोबारा सत्ता में आने के लिए 28 सीटों पर जीत हासिल करना होगा।  

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हैं 16 सीटें

28 सीटों में से 16 ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में आते हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar), ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और दिग्विजय सिंह यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन इलाकों में 'जाति' का मुद्दा महत्वपूर्ण है। वर्ष 2018 में  अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम को खत्म किए जाने के विरोध में भारत बंद का प्रमुख केंद्र यही इलाका था। 


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