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Madhya Pradesh Byelection : चंबल अंचल के इन दिग्‍गजों ने बार-बार बदला पाला, फिर भी न बंध पाया जीत का सेहरा

चंबल अंचल की 13 विधानसभा सीटों में से कई पर कांग्रेस और बसपा से ऐसे उम्मीदवार सामने आए हैं जिन्होंने पिछले चुनावों में बार-बार जीत के लिए पार्टी बदली है। हालांकि जीत उनके हाथ नहीं लगी है। जानें इन सीटों का सियासी गणित...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 07:40 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 07:45 PM (IST)
मध्‍य प्रदेश में आगामी विधानसभा उप चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है....

अनिल तोमर, ग्वालियर। चंबल अंचल की 13 विधानसभा सीटों में से कई पर कांग्रेस और बसपा से ऐसे उम्मीदवार सामने आए हैं, जिन्होंने पिछले चुनावों में बार-बार जीत के लिए पार्टी बदली है। हालांकि जीत उनके हाथ नहीं लगी है। अब फिर उप-चुनावों में दल बदलकर मैदान में जीत की उम्मीद से उतरे हैं। कई उम्मीदवार ऐसे हैं जो पहले किसी और दल से चुनाव लड़कर जीते थे लेकिन पाला बदलने पर उन्हें हार मिली। अब फिर से वे अलग अलग दलों से चुनाव मैदान में हैं।

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सुमावली विधानसभा सीट : यहां कांग्रेस के प्रत्याशी अजब सिंह कुशवाह ने साल 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव बसपा से लड़ा था लेकिन हार गए। साल 2018 का विधानसभा चुनाव पाला बदलकर भाजपा से लड़े लेकिन फिर हार का मुंह देखना पड़ा। अब कुशवाह फिर दल बदलकर उपचुनाव में कांग्रेस से प्रत्याशी हैं।

मुरैना विधानसभा सीट : यहां बसपा के प्रत्याशी रामप्रकाश राजौरिया ने साल 2013 में बसपा से चुनाव लड़ा था लेकिन महज कुछ वोटों से हार गए। इसके बाद 2018 में जब बसपा ने उन्‍हें टिकट नहीं दिया तो वे आम आदमी पार्टी के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरे और हार गए। फिर वे भाजपा में शामिल हो गए। अब जीत की उम्‍मीद में फिर बसपा से मैदान में है।

दिमनी विधानसभा सीट : यहां से कांग्रेस प्रत्याशी रवींद्र सिंह भिड़ोसा साल 2008 में बसपा से चुनाव लड़े थे लेकिन 256 मतों से हार गए। इसके बाद पाला बदलकर भाजपा में पहुंचे लेकिन टिकट नहीं मिला तो साल 2013 में कांग्रेस में शामिल हुए और चुनाव लड़े और हार गए। उपचुनाव में एक बार फिर वह कांग्रेस से प्रत्याशी हैं।

गोहद विधानसभा सीट : इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव साल 2008 में बसपा से चुनाव लड़े लेकिन तीसरे नंबर पर रहे। इसके बाद पाला बदल लिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। साल 2013 में चुनाव लड़े लेकिन हार गए। अब उपचुनाव में फिर से मैदान में हैं।

डबरा विधानसभा सीट : इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेश राजे साल 2013 में भाजपा से चुनाव लड़े लेकिन जीत नसीब नहीं हुई। इस समय भाजपा ने कांग्रेस से आई इमरती देवी को उम्मीदवार बनाया है तो सुरेश राजे ने फिर पाला बदल लिया और जीत की उम्‍मीद में कांग्रेस के बैनर तले चुनाव मैदान में है।

करैरा विधानसभा सीट : कांग्रेस के उम्मीदवार प्रागीलाल साल 2008 में बसपा से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। साल 2013 में भी बसपा से चुनाव लड़े लेकिन सफलता नहीं मिली। अब कांग्रेस ने इनको अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

जीतने के बाद बदला पाला, हुई हार

जौरा विधानसभा सीट : इस सीट से बसपा से 1993 साल 1998 में सोनेराम कुशवाह जीते थे लेकिन साल 2003 में पाला बदलकर समानता दल में पहुंचे तो हार गए। साल 2008 में भी इसी दल से चुनाव लड़े पर जीत नसीब नहीं हुई। अब उपचुनाव में फिर पाला बदलकर बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।

पोहरी विधानसभा सीट : इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हरिवल्लभ शुक्‍ला साल 2003 में समानता दल से जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने साल 2008 में बसपा और साल 2013 में कांग्रेस के बैनर तले चुनाव लड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा।

भांडेर विधानसभा सीट : इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया ने साल 1998 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीता। साल 2003 में जब वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे तो हार गए। साल 2008 में एलजेपी से चुनाव लड़े और पराजय हाथ लगी। साल 2013 में बहुजन संघर्ष दल से चुनाव लड़े और हार गए। अब उपचुनाव में पाला बदलकर कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं।


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