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पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मोइली ने पूछे सवाल, रणनीतिक तेल भंडारों का निर्माण क्यों नहीं कर रही सरकार

पूर्व पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने तय योजना के मुताबिक कच्चे तेल के रणनीतिक भंडार नहीं बनाने के लिए केंद्र सरकार पर हमला बोला है। जानें उन्‍होंने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 06:03 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 06:03 AM (IST)
पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मोइली ने पूछे सवाल, रणनीतिक तेल भंडारों का निर्माण क्यों नहीं कर रही सरकार
पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मोइली ने पूछे सवाल, रणनीतिक तेल भंडारों का निर्माण क्यों नहीं कर रही सरकार

नई दिल्ली, पीटीआइ। पूर्व पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने तय योजना के मुताबिक कच्चे तेल के रणनीतिक भंडार नहीं बनाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा नहीं करके घोर आपराधिक लापरवाही कर रही है। अमेरिका में तेल भंडारण की सुविधा किराये पर लेने को लेकर सवाल उठाते हुए मोइली ने कहा कि ऐसे समय जब कच्चे तेल के दाम कई साल के निचले स्तर पर पहुंचे हैं, देश में भंडारण सुविधा तैयार नहीं करके सरकार ने बड़ा अवसर गंवा दिया है।

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मोइली ने एक वक्तव्य में कहा कि कांग्रेस की अगुआई वाली संप्रग-1 और संप्रग-दो सरकारों ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और कर्नाटक के मेंगलुरु और पडुर में 53.3 लाख टन का रणनीति तेल भंडार बनाया था। यह आपातस्थिति में देश की 10 दिन की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त था। संप्रग-दो सरकार के समय 2013 में चार राज्यों में 1.25 करोड़ टन का रणनीतिक भंडार बनाने की योजना बनाई गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की अगुआई वाली राजग सरकार ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

उन्होंने कहा कि यदि पिछले छह साल में ये रणनीतिक भंडारण बन गए होते तो अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम दो दशक के निचले स्तर पर आने के दौरान भारत इनमें कच्चे तेल का भंडारण कर सकता था। इसके बजाय अब सरकार अमेरिका के रणनीतिक भंडारण में किराये पर जगह लेकर आपातस्थिति के लिए तेल का भंडारण करने की तैयारी कर रही है।

मोइली ने कहा कि अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारगृह में कच्चे तेल का भंडारण राजनयिक और रणनीतिक दृष्टि से सही नहीं है। इस बारे में भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी (एसईपी) की मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान समझौता हुआ है। इस बैठक की सह-अध्यक्षता पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अमेरिका के ऊर्जा मंत्री डैन ब्राउलेट ने की थी।

मोइली ने कहा, 'यह देश की ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है। संप्रग-दो में हमने अतिरिक्त क्षमता के निर्माण का प्रस्ताव किया था।' उन्होंने कहा कि अमेरिका में भंडारण के लिए किराया देने के बजाय यह अच्छा होता कि हम अपना भंडारण बनाते। यदि समुद्र मार्ग बाधित होता है तो अमेरिका से तेल लाना काफी मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि यह मौजूदा सरकार ने छह साल के दौरान सार्वजनिक और यहां तक कि निजी क्षेत्र में भी रणनीतिक भंडारण या नई रिफाइनरियां स्थापित करने पर ध्यान नहीं दिया।


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