रेलवे को आमदनी के मुकाबले खर्च बढ़ने से घाटा, कैग रिपोर्ट- रेलवे की स्थिति 10 वर्षो में सबसे खराब
कैग ने रियायती किरायों और मुफ्त पासों को रेलवे का खर्च बढ़ने का अहम कारण बताया है।रेलवे में कमाई के मुकाबले खर्च के प्रतिशत को आपरेटिंग रेशियो कहा जाता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे का आपरेटिंग रेशियो बढ़ने का मुख्य कारण सातवें वेतन आयोग के कारण वेतन और पेंशन बिल में 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बढ़ोतरी है। जो आय के दस फीसद से भी ज्यादा है। इसके अलावा अहम परियोजनाओं पर भारी निवेश से भी रेलवे का खर्च बढ़ गया है। दूसरी ओर पब्लिक यूटिलिटी होने के कारण हम रेलवे का किराया बढ़ाने में संयम बरतते हैं और मालभाड़े के लाभ से यात्री घाटे की भरपाई करते हैं। ये बात रेल एवं उद्योग व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कही।
रेलवे में आमदनी के मुकाबले खर्च बढ़ा
उनसे रेलवे के बढ़ते आपरेटिंग घाटे का कारण पूछा गया था। जवाब में गोयल ने कहा, 'सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कारण रेलवे के वेतन और पेंशन बिल में 22 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। इससे आमदनी के मुकाबले खर्च बढ़ गया है।'
अलाभप्रद रूटों पर ट्रेनों के संचालन से रेलवे को घाटा
उन्होंने कहा नई लाइनों के निर्माण तथा अलाभप्रद रूटों पर ट्रेनों के संचालन में भी रेलवे का काफी पैसा खर्च हो जाता है। इसके अलावा उपनगरीय ट्रेनों के संचालन, आमान परिवर्तन, साफ-सफाई तथा अन्य चीजों पर भी रेलवे काफी पैसा खर्च कर रही है। रेलवे की लागत बढ़ाने में इन सब चीजों का योगदान है।
सातवें वेतन आयोग के कारण आपरेटिंग रेशियो पर पड़ा असर
गोयल ने कहा, 'जब हम पूरी तस्वीर पर नजर डालते हैं सातवें वेतन आयोग और सामाजिक दायित्व के तहत ट्रेनों के संचालन ने एक साल में ही आपरेटिंग रेशियो पर 15 फीसद का असर डाला है। इसलिए अब समय आ गया है कि हम सामाजिक दायित्व तथा घाटे वाले रूटों पर ट्रेनों संचालन पर होने वाले खर्च को बजट से अलग करें।'
संसद में पेश कैग ने रिपोर्ट में कहा- रेलवे के आपरेटिंग रेशियो को दस वर्षो में सबसे खराब
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सोमवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में रेलवे के आपरेटिंग रेशियो को दस वर्षो में सबसे खराब बताया है। कैग के अनुसार एनटीपीसी और इरकॉन से प्राप्त अग्रिम राशियों की बदौलत 2017-18 में रेलवे बड़ी मुश्किल से 98.44 फीसद का आपरेटिंग रेशियो हासिल कर पाई। यदि इस अग्रिम राशि को न जोड़ा जाता तो आपरेटिंग रेशियो 102.66 फीसद पर पहुंच जाता और वो 1665.61 करोड़ के सरप्लस के बजाय 5676.29 करोड़ के घाटे में होती।
रेलवे में कमाई के मुकाबले खर्च के प्रतिशत को आपरेटिंग रेशियो कहते हैं
रेलवे में कमाई के मुकाबले खर्च के प्रतिशत को आपरेटिंग रेशियो कहा जाता है। आपरेटिंग रेशियो अधिक होने का अर्थ है खर्च में बढ़ोतरी। यहां 98.44 फीसद आपरेटिंग रेशियो का मतलब ये हुआ कि रेलवे के पास नई परियोजनाओं पर खर्च के लिए खुद की मात्र 1.66 फीसद कमाई बची है।
रेलवे को सरकार से अधिक बजटीय सहायता की दरकार
जाहिर है भावी योजनाओं को पूरा करने के लिए उसे सरकार से अधिक बजटीय सहायता की दरकार होगी। कैग ने रियायती किरायों और मुफ्त पासों को रेलवे का खर्च बढ़ने का एक अहम कारण बताया है।