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Lok Sabha Speaker: सदन चलाने की जिम्मेदारी मिलेगी ओम बिड़ला को, जानिए उनके बारे में सब कुछ

Lok Sabha Speaker अगर NDA की तरफ से ओम बिड़ला का ही नाम लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए सामने आता है तो उनका स्पीकर बनना तय है। चलिए जानते हैं ओम बिड़ला के बारे में

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 10:46 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 11:05 AM (IST)
Lok Sabha Speaker: सदन चलाने की जिम्मेदारी मिलेगी ओम बिड़ला को, जानिए उनके बारे में सब कुछ

मनीष गोधा, जयपुर। देशभर में कोचिंग हब के नाम से पहचाने जाने वाले राजस्थान के कोटा शहर के साथ अब एक और उपलब्धि जुड़ गई है। यहां के सांसद ओम बिड़ला लोकसभा अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। यह खबर आने के बाद से कोटा में जश्न का माहौल है। प्रदेश के तौर पर राजस्थान के लिए भी यह एक बड़ी उपलब्धि है। उपराष्ट्रपति रहे भैरोसिंह शेखावत के बाद ओम बिड़ला राजस्थान के दूसरे ऐसे नेता होंगे जो इतने बड़े संवैधानिक पद तक पहुंचेंगे।

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कोटा में ओम जी भाईसाब के नाम से पहचाने जाने वाले ओम बिड़ला तीन बार विधायक रह चुके हैं और अब दूसरी बार सांसद बने हैं। वर्ष 2003 में पहली बार उन्होंने कोटा दक्षिण विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के दिग्गज नेता शांति धारीवाल को हराकर विधायक बने थे। वर्ष 2013 में विधायक चुने जाने के बाद भी पार्टी ने 2014 में उन्हें कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से चुनाव लड़वा दिया और वे सांसद बन गए। इस बार फिर उन्हें टिकट दिया गया, हालांकि उनकी उम्मीदवारी को लेकर स्थानीय इकाई का जबरदस्त विरोध सामने आया था और ऐसा लग रहा था कि इस बार बिड़ला स्थानीय गुटबाजी के शिकार हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनारायण मीणा को दो लाख 79 हजार वोटों से हराकर सारी आशंकाओं को गलत साबित कर दिया और पिछली बार से ज्यादा वोटों से जीते।

राजस्थान की राजनीति में वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में उनके सबसे विश्वस्त लोगों में गिने जाते थे। इनके अलावा मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और शिवराज सिंह चौहान से भी उनके बहुत करीबी संबंध रहे हैं। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं।

माइक्रो बूथ मैनेजमेंट के विशेषज्ञ माने जाते हैं 
ओम बिड़ला भाजपा में माइक्रो बूथ मैनेजमेंट के विशेषज्ञ माने जाते हैं। पार्टी के चुनाव प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बिड़ला को इसका प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जाता रहा है। उनके नजदीकी रहे लोग बताते हैं कि उनके कार्यालय में उनके क्षेत्र के हर बूथ के हर मतदाता की जानकारी मौजूद है। मतदान के दिन हर मतदाता के पास उनके कार्यालय से मतदान करने के लिए फोन जाता है। यह सूची लगातार अपडेट होती रहती है। मतदान के अगले दिन आभार के लिए भी फोन जाता है। यही नहीं, क्षेत्र के मतदाताओं की हर खुशी और गम में खुद बिड़ला या उनका कोई न कोई प्रतिनिधि जरूर पहुंचता है। कोटा के हर मोहल्ले में उनकी टीम सक्रिय है। कोटा में कहा जाता है कि टिकट मिलने के बाद ओम बिड़ला को हराना लगभग असंभव है, इसलिए उनके विरोधी इस बात की कोशिश करते हैं कि उन्हें टिकट न मिले। ओम बिड़ला आज तक कोई चुनाव हारे नहीं हैं।

घर से कोई खाली हाथ नहीं जाता
कोटा में यह प्रचलित है कि किसी गरीब या जरूरतमंद को कोई आवश्यकता है और वह यदि बिड़ला के निवास पर चला जाए तो वहां से निराश नहीं लौटता। वे कोटा स्टेशन पर कंबल बैंक चलाते हैं, जहां यात्री अपना टिकट दिखाकर या पीएनआर नंबर बताकर कंबल ले सकता है। ट्रेन आने के पहले उसे यह कंबल जमा कराना होता है। वे एक वस्त्र भंडार भी चलाते हैं जहां लोग अपने पुराने कपड़े दे जाते हैं और जरूरतमंदों को यहां से उनकी नाप के कपड़े दिए जाते है। तेज सर्दी और गर्मी में चप्पल वितरण, स्थायी रैन बसेरे जैसे कई काम ओम बिड़ला अपने सहयोगियों के साथ संचालित करते हैं।

परिवार का रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नाता
ओम बिड़ला के पिता श्रीकृष्ण बिड़ला संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक रहे हैं और इसीलिए ओम बिड़ला का भी शुरू से ही संघ और भाजपा से जुड़ाव रहा है। पांच भाइयों में ओम चौथे नंबर हैं। कोटा के कैथूनी पोल में उनका पैतृक मकान है। उनका परिवार कई तरह के व्यापार-व्यवसाय कर चुका है। कोटा में सहकारिता के क्षेत्र में उनके परिवार का बड़ा दखल रहा है। यहां की ज्यादातर सहकारी संस्थाएं इस परिवार की ही देन हैं। इनमें एक सहकारी बैंक भी शामिल है। उनकी पत्नी अमिता बिड़ला शासकीय डॉक्टर हैं। दो बेटियों में से एक की शादी हो चुकी है।

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