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LS Polls 2024: बेलगाम बोल और निजी हमले राजनीतिक दलों को पड़ेंगे भारी! चुनाव आयोग की नई गाइडलाइन की तैयारी

Lok Sabha Election 2024 Guidelines चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल हो रही ऐसी भाषा से चिंतित चुनाव आयोग जल्द ही सख्त कदम उठा सकता है। प्रचार में शालीनता बरतने से जुड़े निर्देशों पर राजनीतिक दलों के अध्यक्षों से रिपोर्ट मांगी जा सकती है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकसभा चुनाव की तिथियों के एलान के दौरान भी राजनीतिक दलों को सतर्क किया था।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Fri, 12 Apr 2024 06:46 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2024 06:46 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: निजी हमले राजनीतिक दलों को पड़ेंगे भारी! चुनाव आयोग की नई गाइड्लाइन जल्द जारी (File Photo)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव प्रचार के दौरान कटु बोल और निजी हमलों से बचने की नसीहत के बाद राजनीतिक दलों की ओर से अपनाए जा रहे इस रवैये से नाखुश चुनाव आयोग अब इसे लेकर जल्द ही कुछ और भी सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों को नए सिरे से इसे लेकर दिशा-निर्देश दिए जा सकते हैं। साथ ही इसका पालन न होने पर उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती की जा सकती है, जिसमें स्टार प्रचारकों की संख्या कम करने के साथ ही कम संख्या में वाहनों की अनुमति देने और रैलियों की संख्या कम करने जैसे सख्त कदम भी उठाए जा सकते हैं।

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चुनाव प्रचार पर चुनाव आयोग की नजर

चुनाव आयोग इसके साथ ही सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को नोटिस जारी कर यह जानकारी भी मांगने की तैयारी में है कि चुनाव प्रचार को लेकर पूर्व में उन्हें जो निर्देश दिए गए थे, उसका वह चुनाव प्रचार के दौरान किस तरह से पालन कर रहे है। आयोग का मानना है कि चुनाव प्रचार स्वस्थ और मुद्दा आधारित होना चाहिए।

कटुतापूर्ण बयानबाजी को लेकर आयोग सतर्क

प्रचार के दौरान किसी के खिलाफ निजी टिप्पणी या ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए,जो एक दूसरे दलों के बीच कटुता को बढ़ाने वाले हो। यह स्थिति तब है जब आयोग ने हाल ही में कई राजनीतिक दलों को ऐसे ही कटु बोल और निजी हमलों को लेकर नोटिस जारी कर जवाब सवाल कर चुका है। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के कटुतापूर्ण बयानबाजी को लेकर आयोग पहले से सतर्क है।

चुनाव की तारीखों के समय दी थी चेतावनी

चुनाव की घोषणा के समय भी मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने इसे लेकर राजनीतिक दलों को न सिर्फ आगाह किया था, बल्कि उन्होंने इसे लेकर एक शायरी पढ़ी थी, जिसमें कहा था कि दुश्मनी जमकर करो, लेकिन यह गुंजाइश रहे कि जब मिले तो शर्मिंदा न हो। वहीं रहीम का एक दोहा भी पढ़ा था जिसमें कहा था कि रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय, टूटे सो फिर न जुडे, जुडे गांठ पड़ जाए। उनका कहना था कि इस डिजिटल युग में ऐसा कुछ भी न बोले, जो बाद में आपको सुनकर तकलीफ हो।

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