Move to Jagran APP

SC ST जनप्रतिनिधियों के आरक्षण को लोकसभा से मंजूरी, एंग्लो इंडियन के बारे में कानून मंत्री बोले, हम विचार करेंगे

सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि वर्तमान में पूरे देश में सिर्फ 296 एंग्लो इंडियन हैं ऐसे में यह आरक्षण प्रासंगिक नहीं है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 09:41 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 01:12 AM (IST)
SC ST जनप्रतिनिधियों के आरक्षण को लोकसभा से मंजूरी, एंग्लो इंडियन के बारे में कानून मंत्री बोले, हम विचार करेंगे
SC ST जनप्रतिनिधियों के आरक्षण को लोकसभा से मंजूरी, एंग्लो इंडियन के बारे में कानून मंत्री बोले, हम विचार करेंगे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा और विधानसभाओं में एससी एसटी आरक्षण को अगले दस साल तक बढ़ाने के लिए लोकसभा ने मंजूरी दे दी है। इसमें एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों को मिलने वाले मनोनयन को नहीं बढ़ाया गया है। यानी 25 जनवरी 2020 के बाद से लोकसभा और विधानसभाओं में उन्हें मिला आरक्षित प्रतिनिधित्व खत्म हो सकता है। यह संभावना इसलिए बनी है क्योंकि केंद्रीय कानून मंत्री ने कई बार दोहराया कि अभी यह आरक्षण खत्म नहीं किया गया है। विचार चल रहा है। जाहिर है कि पूरे सदन ने जहां एक मत से इसे पारित किया वहीं विपक्ष की ओर से एंग्लो इंडियन प्रतिनिधित्व को नहीं बढ़ाने का विरोध किया गया। जबकि सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि वर्तमान में पूरे देश में सिर्फ 296 एंग्लो इंडियन हैं, ऐसे में यह आरक्षण प्रासंगिक नहीं है।

loksabha election banner

लोकसभा और विधानसभाओं में एससी एसटी वर्ग के लिए लगभग एक हजार सीटें आरक्षित हैं। शुरूआत में यह आरक्षण सिर्फ दस साल के लिए लागू किया गया था लेकिन उसके बाद हर दस साल में इसे बढ़ाया जाता रहा है। यह आरक्षण 25 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा है।

रविशंकर प्रसाद ने भीमराव अंबेडकर की दिलाई याद

जाहिर है कि इस आरक्षण पर तो कोई विरोध हो नहीं सकता था इसीलिए लोकसभा में चर्चा छिड़ी तो विपक्ष की ओर से सरकार पर एससी एसटी के साथ भेदभाव की बात की गई तो केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की ओर से याद दिलाया गया कि भाजपा की सरकार में ही भीमराव अंबेडकर से जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ का स्थान दिया गया। अवसर मिला तो राष्ट्रपति के पद पर भी दलित वर्ग के राजनेता को बिठाया गया है। आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सदन ने इस संविधान संशोधन को पारित कर दिया। राज्यसभा में पारित होने के बाद इसे आधे राज्यों से भी पारित किया जाएगा उसके बाद यह प्रभावी होगा।

मनीष तिवारी बोले, यह कदम संविधान पर प्रहार

बहरहाल पूरी चर्चा में विपक्ष के भाषणों में एंग्लो इंडियन का मुद्दा छाया रहा। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि लोकसभा में दो और विधानसभाओं में आरक्षित 13 सीटों को खत्म करना अनुचित है। तिवारी ने कहा कि सरकार इस हद तक उतर आयी है कि देश के सबसे छोटे अल्पसंख्यक समुदाय एंग्लो इंडियन की लोकसभा में नामित कर भरे जानेवाली दो सीटों को खत्म कर रही है। यह कदम संविधान पर प्रहार है क्योंकि इस समुदाय को शुरू से ही हमारे संविधान में यह हक मिला हुआ था। दूसरे विपक्षी दलों ने भी कुछ ऐसा ही सवाल खड़ा किया। देश के निर्माण में एंग्लो इंडियन के योगदान और वर्तमान हालात में उनकी खराब हालत का हवाला देते हुए आरक्षण जारी रखने का फैसला लिया गया।

रविशंकर प्रसाद बोले, कांग्रेस का दोहरा चरित्र

बहरहाल, जवाब देते हुए रविशंकर ने याद दिलाया कि एंग्लो इंडियन को शुरूआत में पोस्टल और रेलवे में भी आरक्षण मिला हुआ था। लेकिन बाद में कांग्रेस ने उसका विस्तार नहीं किया। रविशंकर ने कहा कि कांग्रेस का दोहरा चरित्र सबको पता है। जब सत्ता में थे तो एंग्लो इंडियन के आरक्षण का खत्म कर दिया और आज जब सरकार रजिस्ट्रार जनरल के आंकड़ों के सहारे बता रही है कि उनकी संख्या केवल 296 रह गई तो सवाल खड़े कर रही है।

तृणमूल के सांसद सौगत राय ने इस संख्या पर सवाल खड़ा किया तो रविशंकर ने कुछ राज्यों में इसका ब्यौरा रख दिया और बताया कि पश्चिम बंगाल में सिर्फ नौ है, महाराष्ट्र में 16, केरल में सबसे ज्यादा 125, कर्नाटक में 62 आदि। रविशंकर ने बताया कि संविधान में भी एससी एसटी के लिए आरक्षण की बात कही गई है जबकि एंग्लो इंडियन के लिए मनोनयन की बात है। यह परिस्थिति के अनुसार तय किया जाता है। सरकार देखेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.