कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद, लेकिन विरोध प्रदर्शन है राजनीति से प्रेरित: शोभा करंदलाजे
किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध पर कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा। किसना अपनी फसलों को निश्चित क्षेत्रों में ही बेचते थे मगर इन कानूनों से किसान अब कहीं भी अपनी फसलों को अच्छी किमत पर बेच सकते हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। कृषि कानूनों का विरोध प्रदर्शन पिछले साल से चल रहा हैं। जहां एक तरफ किसान इन बिलों का विरोध कर रहीं है, तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है। किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध पर कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा। पहले किसान अपनी फसलों को निश्चित क्षेत्रों में ही बेचते थे, मगर इन कानूनों से किसान अब कहीं भी अपनी फसलों को अच्छी किमत पर बेच सकते है। लेकिन इस बारे में जो कुछ भी हो रहा है वह बस राजनीति से प्रेरित है।
कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों की कृषि वेबसाइटों पर सब्सिडी वाली मशीनरी की एमआरपी प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है। निर्माताओं और डीलरों की तरफ से उच्च कीमतों की मांगी की जा रहीं है, इससे किसानों को लाभ होगा। इस फैसले को मई में लिया गया था। शोभा करंदलाजे ने राज्यों से निर्माताओं को जल्द से जल्द पैनल बनाने की अपील की।
कांग्रेस पंजाब प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को कहा था कि पंजाब में किसान 60 फीसदी तक है और कांग्रेस किसानों के हित के लिए वचनबद्ध है। हम इस तीन काले कानून को पंजाब में लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र द्वारा बनाए गए यह काले कानून राज्य सरकार के कानून बनाने के अधिकारों का हनन है।
बुधवार को गुरुद्वारा रकाबगंज में 20 राज्यों के 100 से अधिक किसान नेताओं ने किसान नेता वीएम सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय किसान मोर्चे का गठन किया। राष्ट्रीय किसान मोर्चे का संयोजक वी. एम. सिंह को बनाया गया। राष्ट्रीय किसान मोर्चे ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों में संशोधित करने की मांग की गई है। बता दें कि देश के अलग-अलग हिस्सों से आए किसान इस समय दिल्ली के सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर सहित दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।