कानून मंत्री ने कहा- निशुल्क वकालत कर चुके वकीलों को जज बनने में मिले प्राथमिकता
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कोलिजियम को जजों का चयन करते समय बिना फीस लिए वकीलों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वकीलों में समाज सेवा की भावना को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार इसे जज बनने की योग्यता के तौर पर शामिल करने के पक्ष में है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कोलिजियम को जजों का चयन करते समय उन वकीलों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो वकालत में बिना फीस लोगों को कानूनी मदद कराते रहे हों। इससे आम जनता को कानूनी मदद सुलभ कराने में आसानी होगी।
वकीलों में समाज सेवा की भावना को प्रोत्साहन के लिए कोलिजियम करे विचार
कानून मंत्रालय ने मंगलवार को इस संबंध में दो सुविधाओं की शुरुआत की। लोगों को मुफ्त कानूनी सेवाएं देने के लिए न्याय बंधु मोबाइल एप लांच किया गया, तो लोगों को टेलीफोन या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कानूनी सलाह देने के लिए सीएससी के जरिए टेली-लॉ सेवा की शुरुआत हुई। इसके लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और जम्मू कश्मीर में सफलतापूर्वक पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा चुका है। इसके तहत करीब 50000 लोगों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है।
कानून मंत्री ने कहा कि संविधान की धारा 39ए सबके लिए न्याय का अधिकार देती है। सरकार ने इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सबका साथ, सबका विकास और सबका न्याय के तहत ही ये दोनों सेवाएं शुरू की गई हैं। न्याय बंधु एप हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। यह मोबाइल एप्लीकेशन लोगों को 'वकीलों' के संपर्क में रहेगा जो स्वेच्छा से अपना समय और सेवाएं देंगे।
इसके विपरीत टेली-लॉ की तकनीकी सुविधा ग्राम पंचायतों में स्थित कॉमन सर्विस सेंटर यानी सीएससी पर उपलब्ध है। सीएससी के जरिए लोग दहेज, पारिवारिक विवाद, तलाक, घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर लैंगिंक उत्पीड़न, यौन दुर्व्यवहार, जमीन जायदाद व संपत्ति का अधिकार जैसे कई मामलों में कानूनी सलाह ले सकेंगे।