कानून मंत्री ने कहा- समान नागरिक संहिता के लिए मोदी सरकार ने फिर जताई प्रतिबद्धता
संविधान के नीतिनिदेशक तत्वों में अनुच्छेद 44 में पूरे भारत वर्ष में सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही गई है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बार फिर सभी के लिए समान कानून यानी समान नागरिक संहिता के लिए प्रतिबद्धता जताई है। बुधवार को लोकसभा में दिये एक लिखित सवाल के जवाब में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार इस संवैधानिक जनादेश के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसके लिए व्यापक स्तर पर विचार विमर्श की जरूरत है।
कानून मंत्री ने कहा- कुछ धर्मों को मिले अल्पसंख्यक दर्जे को समाप्त किये जाने इन्कार
सांसद दुष्यंत सिंह ने कानून मंत्री से सवाल किया था कि क्या सरकार की इस वर्ष समान नागरिक संहिता विधेयक लाने की कोई योजना है। साथ ही पूछा था कि क्या सरकार की समान नागरिक संहिता के तहत कुछ धर्मों को मिले अल्पसंख्यक दर्जे को समाप्त करने की योजना है। जवाब में सरकार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य पूरे भारत के सभी क्षेत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेंगे। कानून मंत्री ने समान नागरिक संहिता के तहत कुछ धर्मों को मिले अल्पसंख्यक दर्जे को समाप्त किये जाने की योजना से इन्कार किया।
समान नागरिक संहिता का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में हैं
समान नागरिक संहिता का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में हैं। केंद्र सरकार ने जून 2016 में समान नागरिक संहिता पर विचार का मुद्दा विधि आयोग को सौंपा था। विधि आयोग ने मामले पर करीब दो साल तक विचार किया, लेकिन इस पर कोई अंतिम रिपोर्ट नहीं दी थी। विधि आयोग ने इसकी जगह विभिन्न पारिवारिक कानून में सुधार के बारे मे एक परामर्श पत्र जारी किया था।
संविधान में देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही गई
सुप्रीम कोर्ट भी कई बार समान नागरिक संहिता की बात कर चुका है, लेकिन उसने भी कभी इस बारे कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया। संविधान के नीतिनिदेशक तत्वों में अनुच्छेद 44 में पूरे भारत वर्ष में सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही गई है।
संघ ने कहा- समान नागरिक संहिता पर फैसला व्यापक चर्चा और सहमति के बाद ही लेना चाहिए
भाजपा के घोषणा पत्र में भी समान नागरिक संहिता लागू करने की बात है। बहरहाल आरएसएस का भी मानना है कि इस पर कोई भी फैसला व्यापक चर्चा और सहमति के बाद ही लिया जाना चाहिए।