Koo Studio चुनावी हलचल - स्थानीय समस्याएं बनाम जातिगत गोलबंदी, यूपी के सियासी समीकरण पर एक नजर
पिछले 5 साल में बीजेपी सरकार ने राज्य में कानून व्यवस्था को ठीक करने की कोशिश की है। पहले की सरकार में राज्य में गुंडों माफियाओं और अपराधियों का डर था जो योगी सरकार के आने के बाद काफी कम हुआ है।
उत्तर प्रदेश असीम संभावनाओं वाला राज्य है, लेकिन आजादी के बाद से इस राज्य का जिस तरह से विकास होना चाहिए था, उस तरह से इसका विकास नहीं हुआ। जनसंख्या के हिसाब यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन यहां आर्थिक विकास बहुत ही कम हुआ है। राज्य में प्रति व्यक्ति आय सलाना 70 हजार रुपए है, जो बाकी राज्यों की तुलना में बहुत ही कम है। अगर राज्य में विकास नहीं हुआ है तो इसके लिए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। यह प्रदेश बहुत समय तक राजनीतिक दलों की प्रयोगशाला बनी रही है।
चुनाव में हर राज्य के अपने-अपने स्थानीय मुद्दे होते हैं और इन मुद्दों को उठाकर ही पार्टियां जनता के बीच जाती हैं। उत्तर प्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है और यहां की स्थानीय समस्याएं, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था है, जिसको लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरती रही हैं। स्थानीय समस्याओं के अलावा यूपी में जातिगत गोलबंदी एक ऐसा मुद्दा है, जिसका प्रभाव यहां की हर चुनाव में देखने को मिलता है। यहां अलग-अलग पार्टी और उनके नेता जातिगत गोलबंदी करके जनता को अपनी ओर खींचने की पूरी कोशिश करते हैं। भाजपा चाहती है कि जनता हिंदुत्व के मुद्दे को आधार मानकर वोट दें, तो वहीं यूपी की क्षेत्रीय पार्टियों की कोशिश रहती है कि लोग जातिगत आधार पर वोट दें। उत्तर प्रदेश की स्थानीय समस्याएं बनाम जातिगत गोलबंदी और सियासी समीकरण को समझने के लिए आज Koo Studio के खास प्रोग्राम चुनावी हलचल के साथ जरूर जुड़ें, जहां Jagran New Media के एग्जक्यूटिव एडिटर और चुनावी विशेषज्ञ Pratyush Ranjan ने इस विषय पर विस्तार से विश्लेषण किया है।
पिछले 5 साल में बीजेपी सरकार ने राज्य में कानून व्यवस्था को ठीक करने की कोशिश की है। पहले की सरकार में राज्य में गुंडों, माफियाओं और अपराधियों का डर था, जो योगी सरकार के आने के बाद काफी कम हुआ है। सरकार राज्य के विकास के लिए कई स्कीम भी लेकर आई। एक ऐसी ही स्कीम है वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट। इस स्कीम के तहत हर जिले में उस प्रोडक्ट पर काम किया जा रहा है जो उस जिले की खासियत है। इससे कंपटीशन बढ़ेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ेगा। इस तरह की स्कीम पर सरकार को लगातार काम करते रहना चाहिए।
Koo Studio चुनावी हलचल का एक सेगमेंट है, जहां शो में राजनीतिक पार्टियों और जनता द्वारा Koo पर की गई प्रतिक्रियाओं को दिखाया जाता है। आइए उन्हीं प्रतिक्रियाओं पर नजर डालते हैं। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने Koo करके राज्य में भाजपा सरकार को बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरा।
भाजपा सरकार की नीति है कि लोगों को गरीब और लाचार बनाओं, फिर उनके सामने 5 कि.ग्रा. चावल व शौचालय देकर एहसान जताकर वोट हथियाओ। सरकार अगर सरकारी क्षेत्रों में हर घर में एक नौकरी दी होती तो उसे सरकार के दया की आवश्यकता नहीं होती। नौकरी तो दिया नहीं गरीबी का मजाक अलग से उड़ा रही है। - Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) 22 Feb 2022
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए ब्राह्मणों से अपील की योगी सरकार को सत्ता से बाहर करें। इन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार ने ब्राह्मणों पर चुन-चुन कर अत्याचार किया और हत्याएं करवाईं।
View attached media content - ANSHU AWASTHI (@AnshuINC) 24 Feb 2022
आज की जनता जागरूक हो चुकी है समझ चुकी है कि नेता जाति की बात करके असल मुद्दों से ध्यान हटा देते हैं। एक आम यूजर अदिती ने इसी बात पर ध्यान रखकर Koo किया है।
#stateelections2022 चुनाव आते नेता लोग जाति की बात कर रहे हैं कोई यह नहीं देख रहा कि हमारे इलाके की सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, स्कूल के इंतजाम सही हैं या नहीं? - Aditi (@aditiSS2U1) 6 Mar 2022
इसके अतिरिक्त और भी कई लोगों ने माइक्रो ब्लॉगिंग ऐप Koo पर उत्तर प्रदेश चुनाव पर अपनी बात की है। साथ ही, Koo Studio चुनावी हलचल के इस एपिसोड में और भी कई महत्वपूर्ण राजनीतिक बिंदुओं पर चर्चा की गई है। जिसे आप यहां पर देख सकते हैं-
आप विभिन्न राज्यों के चुनावी हलचल का सटीक विश्लेषण देखने के लिए @dainikjagran को Koo ऐप पर फॉलो करें।