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जानिए अतिथि विद्वानों पर क्यों भड़के मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री, बोले- मैं भी आत्महत्या कर लूं क्या

मध्य प्रदेश के कालेजों में सहायक प्राध्यापकों की कमी के चलते उनके जैसी शैक्षणिक योग्यता वाले लोगों को पीरियड के आधार पर पढ़ाने के लिए अतिथि विद्वान के रूप में सेवाएं ली जाती हैं। प्रदेश में ऐसे करीब पांच हजार अतिथि विद्वान हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 08:27 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 08:27 PM (IST)
जानिए अतिथि विद्वानों पर क्यों भड़के मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री, बोले- मैं भी आत्महत्या कर लूं क्या
अतिथि विद्वानों ने जब मंत्री यादव से कहा कि उनके पांच साथी आत्महत्या कर चुके हैं तो वह भड़क गए।

भोपाल, जेएनएन। नियमितीकरण की मांग को लेकर मिलने पहुंचे मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वानों और उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के बीच रविवार को बहस हो गई। अतिथि विद्वानों ने जब मंत्री यादव से कहा कि उनके पांच साथी आत्महत्या कर चुके हैं तो वह भड़क गए। यहां तक कह दिया कि क्या मैं भी आत्महत्या कर लूं, मैं इस मामले में क्या कर सकता हूं? मंत्री इसके बाद भी नहीं रुके और अतिथि विद्वानों को फटकार लगाते रहे।

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बता दें कि अतिथि विद्वान महासंघ के पदाधिकारी मंत्री से मिलने भोपाल में उनके बंगले पर पहुंचे थे। महासंघ के अध्यक्ष देवराज सिंह ने मंत्री को बताया कि अतिथि विद्वानों को नियमित नहीं किया जा रहा है। अब भी पूरे प्रदेश में करीब एक हजार ऐसे अतिथि विद्वान हैं, जिन्हें कालेजों में नौकरी नहीं मिल सकी है, जबकि कांग्रेस सरकार में अतिथि विद्वानों ने धरना दिया था तो वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धरनास्थल पर आकर उनसे मुलाकात की थी। आश्वासन भी दिया था कि भाजपा की दोबारा सरकार बनते ही उनकी हर मांग को पूरा किया जाएगा, लेकिन अब मांग पूरी करना तो दूर कोई मिलना तक नहीं चाहता।

मंत्री ने दिया आश्वासन

कहासुनी के बाद मंत्री तो अंदर चले गए, लेकिन अतिथि विद्वान काफी देर तक बंगले के बाहर धरने पर बैठे रहे। कुछ देर बाद मंत्री ने दोबारा बाहर आकर उनसे मुलाकात की। साथ ही, आश्वासन दिया कि वह विभागीय स्तर से प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं। अब मुख्यमंत्री से चर्चा कर कोई हल निकालने की कोशिश करेंगे। देवराज सिंह ने कहा कि फिलहाल मंत्री ने हमारी मांग पर जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है, इसलिए धरना खत्म कर दिया है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के कालेजों में सहायक प्राध्यापकों की कमी के चलते उनके जैसी शैक्षणिक योग्यता वाले लोगों को पीरियड के आधार पर पढ़ाने के लिए अतिथि विद्वान के रूप में सेवाएं ली जाती हैं। प्रदेश में ऐसे करीब पांच हजार अतिथि विद्वान हैं। हर शिक्षा सत्र में इन्हें नई सेवा शर्तो के साथ रखा जाता है।


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