नेपाल का रुख बदला तो सीमा विवाद पर नरम हुआ भारत, जानें विदेश सचिव से किन मसलों पर होगी बात
नेपाल सरकार की तरफ से रिश्तों को पटरी पर लाने के संकेतों के बाद भारत भी द्विपक्षीय रिश्तों पर आंच नहीं आने देना चाहता। आइये जानते हैं कि 26 नवंबर को जब विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला दो दिवसीय यात्रा पर काठमांडू पहुंचेंगे तो वह किन मसलों पर बातचीत करेंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। मई-जून 2020 में भारत की जमीन को अपने भौगोलिक नक्शे में दिखाने के लिए किए गए संवैधानिक संशोधन के बाद नेपाल का रुख काफी बदल चुका है। केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली नेपाल सरकार की तरफ से रिश्तों को पटरी पर लाने के कई संकेतों के बाद भारत भी द्विपक्षीय रिश्तों की अहमियत को देख अब इस मुद्दे को भड़काना नहीं चाहता। आइये जानते हैं कि 26 नवंबर को जब विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला दो दिवसीय यात्रा पर काठमांडू पहुंचेंगे तो वह किन मसलों पर बातचीत करेंगे।
कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर चर्चा संभव
सूत्रों का कहना है कि मुख्य तौर पर भारत की मदद से नेपाल में चलाई जा रही कनेक्टिविटी परियोजनाओं को तेज करने के तमाम पहलुओं पर ज्यादा बात होगी। साथ ही भारत की तरफ से नेपाल को आश्वस्त किया जाएगा कि कोरोना के लिए जो वैक्सीन भारत में बनाई जाएगी, उसकी आपूर्ति नेपाल को प्राथमिकता के तौर पर होगी। सूत्रों का कहना है कि भारत इस बात पर अडिग है कि नेपाली संसद ने जो नक्शा पास किया है, उसमें भारत के हिस्से को शामिल किया गया है।
क्या उठेगा सीमा विवाद का मसला
चूंकि सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत करने का एक तरीका है। हो सकता है कि नेपाल की तरफ से श्रृंगला के साथ बैठक में यह मुद्दा उठाया जाए। भारत के पास अपना पक्ष रखने के तमाम आधार हैं, जिसे नेपाल भी पूर्व में मानता रहा है। वैसे इस मुद्दे पर भारत के पास करने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि जिस हिस्से पर नेपाल दावा कर रहा है, वह भारत के पास पिछले कई सदियों से है।
द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूती देगा भारत
साफ है कि भारत की तरफ से नेपाली संसद में पारित नए नक्शे के मुद्दे को हवा देने की कोशिश नहीं होगी। जानकारों की मानें तो नेपाल के शीर्ष राजनीतिक स्तर से इस बात के पूरे संकेत दिए गए हैं कि भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों की अहमियत को कम नहीं होने दिया जाएगा। नेपाल की ओर से नया नक्शा पारित होने के तुरंत बाद भारत ने बेहद कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। भारत ने इसे मनमाने तरीके से भौगोलिक सीमा विस्तार करार दिया था।
भारत ने दी थी चेतावनी
उस वक्त नेपाली संसद ने ओली सरकार की तरफ से भारत के तीन क्षेत्रों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने नए नक्शे में शामिल करने को मंजूरी दे दी थी। इस विधेयक के आस-पास नेपाल के पीएम और विदेश मंत्री की तरफ से भारत विरोधी कई बयान भी आए थे। इसके बाद भारत ने द्विपक्षीय रिश्ते को लेकर एक सीमा खींच दी थी। भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि द्विपक्षीय रिश्ते को नेपाल की तरफ से खराब किया गया है और उसे सुधारने की जिम्मेदारी भी उसी की है।
संभल रहे हालात
अगस्त 2020 में नेपाली पीएम की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी से बातचीत करने की पेशकश की गई, जिसके बाद हालात को काफी हद तक संभाल लिया गया है। नेपाल सरकार के आमंत्रण पर भारतीय सेना प्रमुख ने हाल ही में नेपाल की बेहद सफल यात्रा की थी। विदेश सचिव श्रृंगला की यात्रा के बाद द्विपक्षीय रिश्तों के तमाम पहलुओं पर चर्चा होगी।