जानिए, कोरोना वायरस को लेकर चीन की भूमिका पर सवाल उठाने से भारत ने क्यों किया परहेज?
एक तरफ जहां अमेरिका समेत कई देशों से कोविड-19 से जुड़ी सूचना छिपाने को लेकर चीन पर दबाव बनाने की कोशिश की है वहीं भारत ने किसी एक पक्ष के साथ खड़े होने से परहेज किया है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। एक तरफ जहां अमेरिका, अस्ट्रेलिया, जापान समेत कई देशों से कोविड-19 वायरस से जुड़ी सूचना छिपाने को लेकर चीन पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है वहीं भारत ने इस मामले में फिलहाल किसी एक पक्ष के साथ खड़े होने से परहेज किया है।
कोविड-19 महामारी से निपटना भारत की प्राथमिकता
भारत का मानना है कि अभी कोविड-19 महामारी से निबटने की हर कोशिश की जानी चाहिए और किस देश की क्या भूमिका रही है, इस पर आगे विचार किया जा सकता है। माना जा रहा है कि भारत ने यह रवैया कोरोना वायरस से लड़ाई में चीन की मदद को देखते हुए अपनाया है। पिछले दस दिनों में चीन से 24 हवाई उड़ानों से चिकित्सा उपकरण भारत आ चुके हैं और अगले कुछ दिनों में तकरीबन 20 हवाई उड़ानों से और पीपीई, टेस्टिंग किट वगैरह आने वाली है।
बाद में जवाब खोजे जा सकते हैं : MEA
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी से जब यह पूछा गया कि दुनिया के बाकी देश कोविड-19 की सही जानकारी नहीं देने को कर चीन की भूमिका की जांच करने की मांग कर रहे हैं तो भारत का क्या मानना है, इस पर उन्होंने जवाब दिया कि, हमारा अभी मानना है कि सारा ध्यान इस महामारी से लड़ने में देना चाहिए। इस महामारी के पीछे कौन सी शक्तियां हैं, इस सवाल का जवाब बाद में भी खोजा जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ हल्ला बोला
सनद रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ सख्त रवैया अपनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने चीन पर समय पर इस बीमारी के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन को जानकारी नहीं दने का आरोप लगाया है और यह भी कहा है कि चीन को इसकी जांच के लिए अमेरिकी दल को इस महामारी के उत्पत्ति केंद्र वुहान जाने की इजाजत मिलनी चाहिए।
अमेरिका के एक राज्य ने चीन पर मुकदमा ठोका
यही नहीं, अमेरिका के मिसोरी राज्य ने इस घातक महामारी को फैलाने के लिए चीन सरकार पर मुकद्दमा भी ठोक दिया है। अमेरिका के चीन विरोधी रुख से अलग हट कर भारत ने अपनी नई एफडीआइ नीति से नाराज पड़ोसी को भी थोड़ी सांत्वना दी है।
भारत ने एफडीआइ नीति में किया बदलाव
भारत ने अपनी एफडीआइ नीति में यह महत्वपूर्ण बदलाव किया है कि उसके साथ जमीनी सीमा से जुड़े देशों को भारतीय कंपनियों में निवेश से पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी। माना जा रहा है कि यह कदम चीन की कुछ कंपनियों की तरफ से शेयर बाजार में गिरावट का फायदा उठा कर भारतीय कंपनियों में इक्विटी बढ़ाने की कोशिशों की वजह से लिया गया है। चीन ने इसका कड़ा विरोध भी किया है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि चीन के विरोध का कोई औचित्य नहीं है, कई देशों ने इस तरह के कदम उठाये हैं।