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जानिए कौन हैं असम के 15वें मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा, कांग्रेस से नाराज होकर थामा था बीजेपी का दामन

हिमंता बिस्व सरमा(Himanta Biswa Sarma) असम के 15वें मुख्यमंत्री होंगे। गुवाहाटी में आज उन्होंने असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है।राज्यपाल जगदीश मुखी ने हिमंता बिस्व सरमा के साथ 13 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 02:13 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 01:14 PM (IST)
जानिए कौन हैं असम के 15वें मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा, कांग्रेस से नाराज होकर थामा था बीजेपी का दामन
असम के 15वें मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा(Himanta Biswa Sarma)। (फोटो: दैनिक जागरण/फाइल)

नई दिल्ली, जेएनएन। हिमंता बिस्व सरमा(Himanta Biswa Sarma) असम के 15वें मुख्यमंत्री बन चुके हैं। उन्होंने आज असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।  राज्यपाल जगदीश मुखी ने हिमंता बिस्व सरमा के साथ ही 13 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। उन्हें सर्बानंद सोनोवाल(Sarbanand Sonowal)के इस्तीफे के बाद असम राज्य की कमान सौंपी गई है। आइए जानते हैं आखिर कौन हैं हिमंता बिस्व सरमा, कैसा रहा है उनका राजनीतिक सफर, इन सभी पर एक नज़र...

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कौन हैं हिमंता बिस्व सरमा

हिमंता बिस्व सरमा असम की जालुकबारी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। हिमंता बिस्व सरमा इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार रामेन चंद्र बोर ठाकुर को हराकर विधानसभा पहुंचे है। इससे पहले वह सोनोवाल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं।

असम में भाजपा की जीत में अहम योगदान

असम में लगातार दूसरी बार बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के पीछे हिमंता बिस्व सरमा की जबरदस्त मेहनत बताई जाती है। कहा जाता है कि वो लोकप्रियकता के मामले में सर्बानंद सोनोवाल से किसी भी मायने में कम नहीं हैं और इस चुनाव में उनका जोरदार प्रचार अभियान, तेज व आक्रामक रणनीति बीजेपी की जीत की अहम वजह रही जिसके चलते पार्टी ने उन्हें सर्बानंद की जगह सीएम पद पर आसीन किया है।

2016 में भी थे CM के दावेदार, कांग्रेस का साथ छोड़ा था

हिमंता बिस्व सरमा ने 2015 में कांग्रेस से मतभेद के बाद हाथ का साथ छोड़ कमल का दामन थामा था बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के साथ राजनीतिक मतभेदों के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया था।बाद में वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। साल 2016 के विधानसभा चुनाव के ऐन पहले बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार के तौर पर देखा जा रहा था लेकिन तब जीत का परचम फहराने के बाद पार्टी ने सोनोवाल को राज्य का सीएम बनाया था।

राजनीतिक और पारिवारिक जीवन

हिमंता बिस्वा सरमा का  जन्म 1 फरवरी 1969 हुआ था

2001 से 2015 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट से असम के जलकुबारी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे

मई 2016 तक भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में विधायक के रूप में सेवा की है। 

शर्मा 20216 की असम विधानसभा की निर्वाचन जीतके असम के कैविनेट मंत्री बने।

 भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 2016 की असम विधानसभा के निर्वाचन में जीतकर शर्मा असम के कैबिनेट मंत्री बने। 

प्रभावशाली हैं हिमंता बिस्व सरमा 

हिमंता बिस्व सरमा(Himanta Biswa Sarma) जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस से किनारा कर लिया था, वह प्रभाव और प्रमुखता में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से अधिक थे। 2016 के चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की जीत के एक बड़े कारक के रूप में प्रसिद्धि के साथ-साथ सीएए आंदोलन और कोरोना महामारी की चुनौतियों से निपटने में भी हिमंत बिस्वा शर्मा का योगदान सबसे ज्यादा रहा। उत्तर-पूर्व भारत में भाजपा की उपस्थिति को और अधिक मजबूती में भी पूर्व कांग्रेस नेता इसे बढ़ाने के लिए पार्टी के प्रयास का नेतृत्व कर रहे हैं।

गृह मंत्रालय अलावा लगभग सभी महत्वपूर्ण विभागों को संभालने के अलावा हिमंता बिस्व सरमा(Himanta Biswa Sarma)उत्तर-पूर्व डेमोक्रेटिक एलायंस (NEDA) के संयोजक के रूप में भी काम करते हैं, जो उत्तर-पूर्व में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए भाजपा के सफल "विशेष उद्देश्य वाहन" हैं। 

असम में भाजपा ने जीती 60 सीटें

126 सीटों वाली विधानसभा में, बीजेपी ने 60 सीटें जीतीं जबकि उसके गठबंधन सहयोगी असोम गण परिषद (एजीपी) ने नौ सीटें जीतीं और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) ने छह सीटें जीतीं। दूसरे स्थान पर रही कांग्रेस ने 29 सीटें जीतीं और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने 16 सीटें जीतीं। बोडो पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने चार सीटें जीती थीं।


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