जानिए- मायावती के साथ हर फोटो में नजर आने वाला ये शख्स कौन है?
आज कल बसपा प्रमुख मायावती के साथ लगभग सभी फोटो में एक नौजवान दिखाई देता है। आखिर ये नौजवान कौन है.. मायवती से इसका क्या संबंध है.. पढ़िए ये रिपोर्ट
अजय जायसवाल, लखनऊ। इन दिनों बसपा सुप्रीमो मायावती के आसपास ही एक कम उम्र के स्मार्ट नौजवान को आपने अक्सर देखा होगा। सुरक्षा घेरे में मायावती का साया बनकर रहने वाला यह नौजवान कोई और नहीं बल्कि उनका सगा भतीजा आकाश है। छोटे भाई आनंद का बेटा आकाश अपनी बुआ मायावती के साथ रहकर राजनीति का ककहरा सीख रहा है।
वैसे तो पूर्व मुख्यमंत्री मायावती राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ हैं और इसको लेकर विरोधी पार्टियों पर निशाना भी साधती रही हैं लेकिन उनका लगाव शुरू से ही अपने भाई आनंद से देखा गया है। पूर्व में आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसा अहम पद तो सौंपा, लेकिन कहा कि वह कभी विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनेगा। गौरतलब है कि बसपा के संस्थापक कांशीराम ने भी पहले मायावती को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ही बनाया था। हालांकि, आनंद इन दिनों संगठन में किसी पद पर नहीं हैं लेकिन उनके बेटे आकाश अब मायावती के साथ पूरी तरह से सक्रिय दिखाई दे रहे हैं।
ढाई दशक बाद 12 जनवरी को सपा से गठबंधन का मौका रहा हो या मायावती की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व राजद नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात या फिर मंगलवार को जन्मदिन, सभी अवसर पर आकाश, बुआ के साथ ही आए और उन्हीं के साथ गए। जन्मदिन पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में आकाश नीले रंग के सूट में नजर आए। आकाश की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए जानकार उसे, बुआ मायावती की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी के तौर पर देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि फिलहाल मायावती भतीजे आकाश को बसपा में युवा नेता के तौर पर स्थापित करने में लगी हैं और उसे पार्टी की अहम जिम्मेदारी दे रही हैं।
दरअसल, 63वां जन्मदिन मना रही मायावती के साथ पहले-पहल आकाश उनके सहारनपुर हिंसा के मद्देनजर किए गए दौरे में दिखे थे। मेरठ में आयोजित रैली के सार्वजनिक मंच पर भी आकाश को मायावती के साथ देखा गया था। पूर्व में पार्टी पदाधिकारियों की लखनऊ-दिल्ली की बैठक में मायावती भाई आनंद के बेटे आकाश का परिचय सभी से करा चुकी हैं। मायावती ने आकाश को अपना भतीजा बताते हुए कहा था कि वह लंदन से एमबीए करके लौटा है। उसे कोई पद सौंपे बिना मायावती का कहना था कि आकाश पार्टी का काम देखेगा।
उल्लेखनीय है कि बसपा में कोई युवा फ्रंटल संगठन नहीं है जबकि चुनाव में युवाओं की अहम भूमिका देखी जा रही है। पूर्व के कई चुनाव में बसपा की हार के पीछे युवाओं के पार्टी से न जुड़ने को भी माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि आकाश को सामने लाने के पीछे मायावती की दलित युवाओं को पार्टी की ओर लुभाने की मंशा भी है। ऐसा करके मायावती दलित युवाओं के बीच भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद आदि के उभार को कुंद करना चाहती हैं।
कभी राजाराम की थी चर्चा
वर्ष 2014 में मायावती ने जब राज्यसभा के उम्मीद्वार के तौर पर आजमगढ़ के रहने वाले राजाराम का नाम घोषित किया, तब उन्हें मायावती के राजनीतिक वारिस के तौर पर देखा गया। राजाराम वर्ष 2008 के बाद दूसरी बार राज्यसभा सांसद बनने से पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व कई राज्यों के प्रभारी भी रहे।
मालूम हो कि वर्ष 2007 में बहुमत की सरकार बनाने के बाद की रैली में मायावती ने एलान किया था कि उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी सजातीय, उम्र में उनसे करीब 15 साल छोटा होगा लेकिन उनके परिवार का नहीं होगा। इस पर उस समय राजाराम को लेकर अफवाह भी उड़ी कि कहीं राजाराम ही तो उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं।