मोदी के सपनों की तरफ योगी, देश के सबसे बड़े सूबे को एक बार फिर जीतने की तैयारी
यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए बजट पेश किया। इस बजट के जरिए आम लोगों के साथ प्रदेश की तकदीर बदलने के लिए ठोस उपायों पर बल दिया गया।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । एक फरवरी 2018 को केंद्र सरकार द्वारा बजट पेश किए जाने से पहले समाज के हर तबके को कुछ न कुछ मिलने की उम्मीद थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए जब कहा कि इस सरकार का एजेंडा किसानों की सेहत के साथ साथ आम लोगों की सेहत से जुड़ी है तो तस्वीर करीब करीब साफ हो चुकी थी कि बजट में अगले आम चुनावों की छाप दिखाई देगी। केंद्र सरकार ने उन योजनाओं को ज्यादा तवज्जो दी जो आम लोगों से सीधे जुड़ी हुई थी।
मसलन देश के करीब 10 करोड़ परिवारों या यूं कहे कि 40 फीसद आबादी को सुरक्षित स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाने का ऐलान किया गया। करीब 15 दिन बाद जब यूपी सरकार ने 16 फरवरी को जब बजट पेश किया तो एक बात साफ हो गई कि मोदी के सपनों की तरफ योगी ने कदम बढ़ाया है। खैर उसके पीछे वजह भी है। 2014 के आम चुनाव में भाजपा को सूबे की जनता ने प्रचंड बहुमत दिया जो राजनीतिक विश्लेषकों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था। देश की गद्दी पर 1984 के बाद कोई एक अकेली पार्टी अपने बलबूते पर सरकार बनाने में कामयाब हो गई। 2019 के चुनाव में भाजपा उस प्रदर्शन से आगे बढ़ना चाहती है जो 2014 में हासिल हुयी थी। ऐसे में सवाल ये है कि क्या यूपी सरकार ने भी लोकलुभावन बजट पेश किया है या वास्तव में ये बजट उत्तर प्रदेश को खुशियों के प्रदेश में बदल देगा जिसकी झलक दिल्ली से यूपी में दाखिल होते वक्त प्रचार प्रसार करते हुए होर्डिंग पर नजर आती है।
उत्तर प्रदेश में पिछली सरकारों का अतीत कैसा था। इसके साथ ही वर्तमान सरकार की नीतियों से भविष्य की तस्वीर को रोचक अंदाज में शेर के जरिए वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने विधानसभा के पटल से जनता के सामने रखा।
‘ हमारा वादा है हर घर को जगमगाएंगे,
दीयों की लौ को हवाओं से हम बचाएंगे।
स्वर्ग उतरेगा एक रोज अपनी धरती पर,
जो कोई कर नहीं पाया, वो कर दिखाएंगे।’
साहिल से मुस्कुरा के तमाशा न देखिए,
हमने ये खस्ता नाव विरासत में पाई है
बारिश के इंतजार में सदियां गुजर गईं,
उठो जमीं को चीर के पानी निकाल लो।’
यूपी में इन्वेस्टर्स समिट के जरिए प्रदेश में निवेश आकर्षित करने में जुटी योगी सरकार ने शुक्रवार को 2018-19 के लिए 4,28,384.52 करोड़ रुपये का बजट पेश करते हुए इसकी बुनियाद रख दी है।
युवाओं के लिए लैपटॉप से पहले स्वरोजगार
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर योगी सरकार ने युवा शक्ति को भी साधनेकी कोशिश की है। सरकार ने युवाओं को लैपटॉप देने से पहले स्वरोजगार देने की दिशा में पहलकी है। इन्क्यूबेटर की स्थापना और नये उद्यमियों को बढ़ावा देने के मकसद से स्टार्ट-अप फंड केलिए 250 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। वहीं 100 करोड़ रुपये के आवंटन से मुख्यमंत्री युवास्वरोजगार नाम से नई योजना शुरू की गई है। परंपरागत उद्योगों और हस्तशिल्पों को बढ़ावा देने केलिए ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना पर भी बजट का फोकस है। माना जा रहा है, इस योजना का लाभ भी सबसे ज्यादा युवा वर्ग को ही मिलेगा।
निवेशकों में विश्वास जगाने की कोशिश
बुनियादी ढांचे पर विकास के साथ योगीसरकार ने निवेशकों में विश्वास जगाने केलिए विभिन्न निवेश प्रोत्साहन नीतियों केक्रियान्वयन के लिए 1400 करोड़ रुपये काइंतजाम किया है। इसके तहत उप्र औद्योगिक नीति 2012 को अमली जामा पहनाने केलिए 600 करोड़ रुपये और उप्र औद्योगिकनिवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2017 के तहत रियायतें देने के लिए 500 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है।
सड़क विकास पर खास जोर
खास बात यह कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से गोरखपुर को जोड़ने पर पांच सौ करोड़ खर्च किए जाएंगे। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर भी सरकार 650करोड़ खर्च करने जा रही है। योगी सरकार का पहला बजट किसानों की ऋण माफी का वादा पूरा करने के दबाव में आया था, लिहाजा बड़ी योजनाओं के लिएपैसा निकालने में तब सरकार के हाथ बंध गए थे।इस बार ऐसा नहीं है। बजट खेती, पशुपालन, उद्योग,युवाओं और ढांचागत सुविधाओं पर बहुत जोर दे रहाहै। वित्त मंत्री जानते हैं कि पेट किसान भरता है और रोजगार उद्योगों से आता है तो उन्होंने दोनों ही क्षेत्रोंका भरपूर ध्यान रखा है। हाल ही में नीति आयोग नेस्वास्थ्य सेवाओं के मामले में उत्तर प्रदेश को देश के सभी राज्यों में इक्कीसवें नंबर पर रखा था। शायद इसीलिए स्वास्थ्य और शिक्षा पर सरकार ने बहुत ध्यान दिया है।
जानकार की राय
दैनिक जागरण से खास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने कहा कि इसमें दो मत नहीं कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। यूपी में दशकों बाद एक ऐसी सरकार है जिसे केंद्र सरकार के कड़वे बयानों और तिरछी नजर का सामना नहीं करना पड़ रहा है। इस वर्ष के बजट में यूपी सरकार ने पिछली सरकारों की खामियों को गिनाते हुए कहा कि प्रदेश के मुस्तकबिल के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार कदमताल कर रही है। अगर बजट के कुछ प्रावधानों को देखें तो पूर्वी हिस्से पर सरकार मेहरबान है और ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि विकास की रफ्तार में पश्चिमी हिस्से से पीछे चल रहे इस इलाके को आगे बढ़ाना है। दरअसल इसके पीछे राजनैतिक निहितार्थ भी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी को उन सीटों पर कामयाबी मिली जिसके बारे में रणनीतिकार खुद निश्चिंत नहीं थे।
इन्वेस्टर्स समिट से पहले जिस तरह से उद्योग धंधों की स्थापना के लिए योजनाएं बनायी गई हैं उससे ये संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि ये सरकार उद्योगपतियों, नवउद्यमियों को बाधारहित, भयरहित माहौल देना चाहती है। इसके साथ ही शिक्षा के मद में ज्यादा धनराशि उपलब्ध कराकर यूपी को तरक्की की राह पर आगे बढ़ने का सपना देखा गया है।
जहां तक 2019 के चुनाव की बात है तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा अपने पिछले प्रदर्शन से और बेहतर प्रदर्शन दोहराना चाहेगी। किसी भी पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए बनाई जा रही रणनीतियों पर विपक्षी भी सवाल नहीं उठा सकते हैं। यूपी में 73 सीटों का मिलना बेंचमार्क है और ये सरकार उस बेंचमार्क से आगे ही बढ़ना चाहेगी।
नौनिहालों का भी रखा ख्याल
शिक्षा के लिए 68 हजार करोड़ रुपये और स्वास्थ्य के लिए 21 हजार करोड़ रुपये सरकारने का प्रावधान किया है। सड़कों के लिए भी करीब29 हजार करोड़ खर्च किये जाएंगे। मदरसों के लिभी चार सौ करोड़ निकाल कर सरकार ने सबको साथलेने की अपनी मंशा पर मुहर लगाई है। बजट पर प्रधानमंत्री मोदी की स्पष्ट छाप है और इसीलिए, इसमें केंद्रीय योजनाओं को बहुत महत्व दिया गया है। देखा जाए तो यूपी का बजट केंद्र सरकार के हालिया बजट का विस्तार है। यह केंद्रीय योजनाओं को जनता तक ले जाने की चिंता करता है। मार्च 2019 तक राज्य सरकार ने डेढ़ करोड़ परिवारों को बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है। कृषि में तकनीक का दखल बढ़ाने, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदनायोजना और स्वास्थ्य सुरक्षा योजना फेज-3 को भीइसी श्रेणी में रखा जा सकता है।2019 समूची भाजपा के लिए बड़ी परीक्षासाबित होने वाला है। राष्ट्रीय राजनीति के कई बड़े सवाल भाजपा की जीत-हार से तय होने हैं। भावी दंगल में 2014 की 73 सीटों की चुनौती योगी सरकार के सामने है।