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लोकायुक्त एक्ट में बदलाव की तैयारी में केरल सरकार, कांग्रेस-भाजपा ने खोला मोर्चा

केरल सरकार लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि इसको लेकर राज्यपाल को प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 02:40 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 02:40 PM (IST)
लोकायुक्त एक्ट में बदलाव की तैयारी में केरल सरकार, कांग्रेस-भाजपा ने खोला मोर्चा
केरल सरकार पर हमलावर हुई कांग्रेस और भाजपा (फाइल फोटो)

तिरुवनंतपुरम, पीटीआइ। केरल सरकार लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। वहीं, केरल सरकार अपने फैसले को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस और भाजपा ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के फैसले से लोकायुक्त की शक्तियां कमजोर होंगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। कांग्रेस ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से अध्यादेश पर हस्ताक्षर ना करने का आग्रह किया है।

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कांग्रेस ने आरोप लगाया कि माकपा नीत सरकार ऐसे समय में अध्यादेश जारी कर एजेंसी की शक्तियों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है, जब सरकार के पास अनियमितताओं की कई शिकायते हैं। कहा जा रहा है कि पिछली कैबिनेट बैठक के दौरान अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी, लेकिन बाद में सरकार द्वारा जारी किए गए कैबिनेट ब्रीफ में इसका उल्लेख नहीं था।

कांग्रेस की राज्यपाल को चिट्ठी

विपक्षी नेता वीडी सतीसन ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी है। सतीसन ने राज्यपाल से अध्यादेश को मंजूरी ना देने की अपील की है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि सरकार ने ये कदम लोकायुक्त की शक्तियों को कम करने के लिए उठाया है। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि ये लोकायुक्त के अस्तित्व को नष्ट कर देगा।

सतीसन ने केरल लोकायुक्त अधिनियम, 199 की धारा 3 का उल्लेख करते बताया कि एक व्यक्ति को केवल तभी लोकायुक्त के रूप में नियुक्त किया जा सकता है जब उसने पहले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के किसी भी पूर्व जज को इस पद पर नियुक्त करने से राज्य की सबसे महत्वपूर्ण संस्था की शक्ति कम होगी।

भाजपा ने भी खोला मोर्चा

इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी में निर्णय लिया, क्योंकि लोकायुक्त सरकार के खिलाफ कुछ सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटालों पर विचार कर रहा था।


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