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मीसाबंदियों की पेंशन के मुद्दे पर कमलनाथ का यूटर्न, शिवराज ने यूं कसा तंज

मध्‍यप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया है कि राज्‍य सरकार ने मीसाबंदियों की पेंशन बंद करने का अपना निर्णय पलट दिया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 01:35 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 01:46 PM (IST)
मीसाबंदियों की पेंशन के मुद्दे पर कमलनाथ का यूटर्न, शिवराज ने यूं कसा तंज
मीसाबंदियों की पेंशन के मुद्दे पर कमलनाथ का यूटर्न, शिवराज ने यूं कसा तंज

भोपाल, जेएनएन। मध्‍यप्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा मीसाबंदियों की पेंशन बंद करने का मामला हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद मुख्‍यमंत्री कमलनाथ के तेवर पर नरम पड़ गए हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि राज्‍य सरकार ने मीसाबंदियों की पेंशन बंद करने का अपना निर्णय पलट दिया है।

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शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्विटर हैंडल पर मध्‍यप्रदेश शासन सामान्‍य प्रशासन विभाग मंत्रालय का एक पत्र साझा किया है, जिसमें निर्देश दिया गया है कि भौतिक सत्‍यापन के बाद लोकतंत्र सेनानियों/ उनके आश्रितों को सम्‍मान निधि राशि के वितरण की कार्यवाही की जाए।

बता दें कि लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्‍ट्रीय संयुक्‍त सचिव मदन बाथम ने सरकार के इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में लिखा था कि देश में इमरजेंसी के दौरान जिन लोगों को जेल में रखा गया था उन्‍हें यह राशि दी जाती है। मध्‍यप्रदेश में 2 हजार 286 परिवार इस सम्‍मान निधि पर आश्रित हैं और विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार ने दुर्भावनापूर्ण रवैया अपनाते हुए इस पर रोक लगा दी थी। मदन बाथम की आरे से दायर की गई याचिका में पेंशन को पहले की तरह बहाल करने अनुराध किया गया था।

गौरतलब है कि प्रदेश में जब भाजपा सरकार थी तब उसने मीसाबंदियों के लिए पेंशन योजना शुरू की थी। भाजपा सरकार ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी व स्वयंसेवकों के लिए ये योजना शुरू की थी। लेकिन अब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही इसे बंद करने की कवायद है। कुछ कांग्रेसी नेता खुलकर मीसाबंदियो की पेंशन योजना को फिजूल खर्च बता चुके हैं। उनके मुताबिक, भाजपा सरकार ने अपने खास लोगों को उपकृत करने के लिए ये योजना शुरू की और इस पर सालाना 75 करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे। कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने तो ये भी कहा कि भाजपा सरकार मीसाबंदियों को 25000 रुपये प्रति माह दे रही थी, जबकि स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन नहीं मिल रही। ये फिजूलखर्ची है और इसे बंद किया जाना चाहिए। ऐसे में कमलनाथ सरकार ने इसे रोक दिया था।


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