विजयवर्गीय ने अनुच्छेद-30 के औचित्य पर उठाए सवाल, कहा- इसने समानता के अधिकार को नुकसान पहुंचाया
कैलाश विजयवर्गीय ने संविधान में अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान संचालित करने का अधिकार देने वाले अनुच्छेद-30 के औचित्य पर सवाल उठाए हैं।
भोपाल, आईएएनएस। भाजपा (Bharatiya Janata Party) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने संविधान (Indian Constitution) में अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान संचालित करने का अधिकार देने वाले अनुच्छेद-30 के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। भाजपा नेता ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा है कि इस अनुच्छेद ने समानता के अधिकार को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।
विजयवर्गीय ने कहा, 'देश में संवैधानिक समानता के अधिकार को Article 30 सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। यह अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रचार और धर्म शिक्षा की इजाजत देता है जो दूसरे धर्मों को हासिल नहीं है। जब हमारा देश धर्मनिरपेक्षता का हिमायती है तो इस अनुच्छेद की क्या जरुरत है।' भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय के इस बयान के बाद देश में नई बहस छिड़ने के आसार बन गए हैं। बीते दिनों केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटा दिया था जिसे लेकर विपक्ष ने काफी हमला बोला था।
क्या कहता है अनुच्छेद-30
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-30 के तहत अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान संचालित करने का अधिकार है। यह अनुच्छेद कहता है कि सरकार शैक्षिक संस्थानों को मदद देने में किसी भी शैक्षणिक संस्थान के खिलाफ इस आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती है कि वह अल्पसंख्यक प्रबंधन के अधीन है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। धार्मिक अधिकारों और विशेषाधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ जातीय अल्पसंख्यक देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की आधारशिला हैं।
अकाली दल ने जताई आपत्ति
विजयवर्गीय के ट्वीट पर शिरोमणि अकाली दल ने आपत्ति जताई है। शिरोमणि अकाली दल के मुख्य प्रवक्ता हरचरण बैंस ने कहा है कि शिअद की स्थापना ही अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हुई है। अल्पसंख्यक देश के प्रमुख अंग हैं और अंग कमजोर करने से देश भी कमजोर होगा। अनुच्छेद-30 को खत्म करने से अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी। ऐसा बयान सही नहीं है।
समीक्षा की जाए
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का मानना है कि अल्पसंख्यक संस्थाएं अनुच्छेद 30 के तहत मिले अधिकारों का दुरुपयोग कर रही हैं। इसकी समीक्षा किए जाने की जरूरत है। इस संबंध में कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न अदालतों में लंबित भी हैं। मालूम हो कि मध्य प्रदेश सरकार राज्य के सात हजार में से ढाई हजार मदरसों को अनुदान देती है। अल्पसंख्यक छात्रों को वजीफा, शैक्षणिक संवर्ग का वेतन, संस्था के संचालन का खर्च अनुदान के जरिए ही मिलता है। संस्थाओं को सरकार की ओर से सालाना 50 करोड़ रुपये के अनुदान दिए जाते हैं।