MP Byelection 2020: ज्योतिरादित्य सिंधिया को पूरे एमपी में मिली जीत की मिठास, पर घर में मिठास हुई कम
ग्वालियर-चंबल अंचल की कुल 16 सीटों में से सिंधिया आठ सीटों पर भाजपा को जीत के करीब लाने में कामयाब रहे लेकिन ग्वालियर और खासकर चंबल में कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी। ग्वालियर मुरैना शिवपुरी दतिया और भिंड जिले में समर्थक प्रत्याशी मतगणना के अंत तक खुश नहीं हो सके।
ग्वालियर, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के गद्दारी के आरोपों के बीच चुनावी रण में अपने समर्थक मंत्रियों-पूर्व विधायकों के साथ उतरे राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंगलवार को पूरे प्रदेश में जीत की मीठी खीर मिली लेकिन उनके घर ग्वालियर-चंबल अंचल में इसकी मिठास कम हो गई। अंचल की कुल 16 सीटों में से सिंधिया आठ सीटों पर भाजपा को जीत के करीब लाने में कामयाब रहे लेकिन ग्वालियर और खासकर चंबल में कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी। ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, दतिया और भिंड जिले में उनके समर्थक प्रत्याशी मतगणना के अंत तक खुश नहीं हो सके। हर राउंड में कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस प्रत्याशी अपनी बढ़त बना रहे थे। तीन मंत्री देर शाम तक निकटतम प्रतिद्वंद्वियों से पीछे रहे। आपत्तिजनक बयानों के वीडियो वायरल होने के बाद दतिया की भांडेर विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार फूल सिंह बरैया चुनाव हार गए।
भाजपा दिग्गजों के गढ़ मुरैना में भाजपा तीसरे स्थान पर
चंबल अंचल की राजधानी कहे जाने वाले मुरैना जिले ने भाजपा को निराश किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का गृह नगर और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद मुरैना विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। यहां भाजपा तीसरे नंबर पर रही। बसपा उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहा। तोमर के गृह नगर अंबाह विधानसभा सीट पर तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा प्रत्याशी कमलेश जाटव जीत के लिए जद्दोजहद करते दिखे। मुरैना की सुमावली विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सबसे ज्यादा सभाएं लीं वहां भाजपा उम्मीदवार और कैबिनेट मंत्री ऐदल सिंह कंषाना 25 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं। दिमनी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के रविंद्र तोमर करीब 20 हजार वोटों से आगे हैं। जिले से भाजपा को जौरा विधानसभा सीट पर निर्णायक बढ़त मिली हुई है। गौरतलब है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की सभी छह सीटों पर जहां कांग्रेस ने खाता भी नहीं खोला था वहीं 2018 के चुनाव में सारी सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था। आठ माह पहले छह में से चार विधायकों ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया था। यहां जौरा विधानसभा सीट विधायक के निधन से खाली हुई थी।
चंबल में भितरघात से भाजपा के बहाने सिंधिया को ज्यादा नुकसान
चंबल में भाजपा के पिछड़ने का कारण भितरघात और पार्टी के बड़े नेताओं का पूरे मन से काम न करना माना जा रहा है। सबसे बड़ा उदाहारण पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का है। वे इस बार चुनाव में कम ही बाहर निकले। जबकि उनका प्रभाव समूचे ग्वालियर-चंबल अंचल में है। पवैया सिंधिया परिवार के चिर विरोधी रहे हैं। वहीं भाजपा ने मतदान से ठीक पहले सुमावली के पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार को पार्टी से निकाल दिया और उनके पिता पूर्व विधायक गजराज सिंह को भी नोटिस थमा दिया। आरोप भितरघात का ही था। इससे चंबल अंचल में भाजपा के बहाने सिंधिया की राजनैतिक हैसियत को ज्यादा नुकसान हुआ है।