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अयोध्या का मामला दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक : जस्टिस बोबडे

47वें मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जस्टिस बोबडे ने बुधवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि अयोध्या मामला निश्चित रूप से अहम है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 11:02 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 11:08 PM (IST)
अयोध्या का मामला दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक : जस्टिस बोबडे
अयोध्या का मामला दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक : जस्टिस बोबडे

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत के नामित मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि अयोध्या का मामला दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक है। सोशल मीडिया पर जजों के कामकाज की आलोचना पर अफसोस जताते हुए कहा कि अधिकांश जज जिनकी चमड़ी मोटी नहीं है, वह इससे क्षुब्ध हो जाते हैं। फैसले की आलोचना के बजाय जज की आलोचना से मानहानि का मामला बनता है। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च अदालत सुस्त पड़ चुके संवैधानिक मामलों से निपटने के लिए पांच जजों की एक स्थाई संवैधानिक पीठ बना सकती है।

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अयोध्या मामला अहम

18 नवंबर को 47वें मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जस्टिस बोबडे ने बुधवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि अयोध्या मामला निश्चित रूप से अहम है। बोबडे भी इस मामले की संविधान पीठ का हिस्सा हैं। इस मामले में फैसला 17 नवंबर से पहले आना है। चूंकि इसी दिन मौजूदा सीजेआइ रंजन गोगोई सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जस्टिस बोबडे 17 महीनों के लिए सीजेआइ के पद पर रहेंगे। उनकी सेवानिवृत्ति 23 अप्रैल, 2021 को होनी है।

जजों के चयन की मंत्रणा सार्वजनिक नहींं करने का पक्ष

63 वर्षीय जस्टिस बोबडे ने कोलेजियम में उच्च न्यायालयों के लिए जजों के चयन की मंत्रणा को सार्वजनिक नहीं करने का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि यह कोई बात गुप्त रखने का मामला नहीं है, बल्कि निजता के लिहाज से निजी रखने का विषय है। उन्होंने कहा कि किसी नकारात्मक बातें बेवजह सबके सामने क्यों लाई जाएं। मेरे विचार से इस संबंध में अनुदार रहना ही ठीक है। जिन जजों को किन्हीं कारणों से नहीं चुना जाता है, इससे लोगों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है

सच नहीं होती आधी शिकायतें

आधी शिकायतों में सच्चाई नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जनता की कुछ जानने की इच्छा को पूरा करने के लिए लोगों की साख को दांव पर नहीं लगाया जा सकता है। कोलेजियम में विचार किए गए उन नामों को सामने लाया जा सकता है, जिनकी नियुक्तियां हुई हैं। लेकिन, वह नाम नहीं सार्वजनिक किए जा सकते हैं जिन्हें खारिज किया गया। उन्हें रिजेक्ट करने के कारण भी सार्वजनिक नहीं किए जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पहली बार 2017 में तत्कालीन सीजेआइ दीपक मिश्रा ने कोलेजियम की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डालने का निर्णय लिया था।

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