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जस्टिस जोसेफ बोले- जब तक आस्था संविधान में दिए मूल्यों से नहीं टकराती कोई कोर्ट दखल नहीं दे सकता

सुप्रीम कोर्ट से हाल ही सेवानिवृत्त हुए जस्टिस जोसेफ का कहना है कि जब तक कोई आस्था संविधान में दिए मूल्यों से नहीं टकराती तब तक कोई कोर्ट दखल नहीं दे सकती।

By Vikas JangraEdited By: Published: Sat, 01 Dec 2018 10:04 AM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2018 10:04 AM (IST)
जस्टिस जोसेफ बोले- जब तक आस्था संविधान में दिए मूल्यों से नहीं टकराती कोई कोर्ट दखल नहीं दे सकता
जस्टिस जोसेफ बोले- जब तक आस्था संविधान में दिए मूल्यों से नहीं टकराती कोई कोर्ट दखल नहीं दे सकता

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के से सेवानिवृत्त हो चुके जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि जब तक लोगों की आस्था और भावनाएं संविधान का उल्लंघन नहीं करती तब तक देश की कोई भी अदालत दखल नहीं दे सकतीं। वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस के सवाल पर जोसेफ ने कहा कि उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है। क्योंकि जो किया वह जरूरी था। बता दें कि साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीफ जस्टिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। जस्टिस जोसेफ उन चार न्यायधीशों में से एक थे। 

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जस्टिस जोसेफ ने मीडिया से बात करते हुए एक सवाल के जवाब में कहा, 'जब तक कोई भी आस्था या रीति रिवाज भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में दिए जनादेशों का उल्लंघन नहीं करती, तब तक ना तो सुप्रीम कोर्ट या कोई भी और कोर्ट उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।'

Justice Kurian Joseph

जनवरी में मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने को लेकर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में पूछे जाने पर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि उन्होंने जो किया वह सोच समझकर किया, अब इसका कोई पछतावा नहीं है। जोसेफ ने कहा कि मुझे ये इसीलिए करना पड़ा क्योंकि कोई और विकल्प नहीं था। मैं ये नहीं कहता कि अब संकट टल गया है। यह एक सांस्थागत संकट था और व्यवस्था बदलने में अभी और समय लगेगा। कुछ चीजें बदल रही हैं और ये प्रक्रिया जारी रहेगी।'


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