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जॉन बोल्टन ने कहा- चीन से तनाव बढ़ने पर ट्रंप भारत का समर्थन करेंगे, इसकी गारंटी नहीं

यह पूछे जाने पर कि ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का किस हद तक समर्थन करने के लिए तैयार हैं उन्होंने कहा मुझे नहीं पता कि वह कौन सा रास्ता अपनाएंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 06:16 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 06:16 PM (IST)
जॉन बोल्टन ने कहा- चीन से तनाव बढ़ने पर ट्रंप भारत का समर्थन करेंगे, इसकी गारंटी नहीं
जॉन बोल्टन ने कहा- चीन से तनाव बढ़ने पर ट्रंप भारत का समर्थन करेंगे, इसकी गारंटी नहीं

नई दिल्ली, प्रेट्र। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा है कि यदि चीन-भारत में तनाव बढ़ता है, तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत का समर्थन करेंगे। बोल्टन ने एक टेलीविजन चैनल से साक्षात्कार में कहा कि चीन अपनी सभी सीमाओं पर आक्रामक तरीके से व्यवहार कर रहा है। निश्चित तौर पर पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में तथा जापान, भारत और अन्य देशों के साथ उसके संबंध खराब हुए हैं।

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ट्रंप देखते हैं व्यापार के चश्मे से- बोल्टन

यह पूछे जाने पर कि ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का किस हद तक समर्थन करने के लिए तैयार हैं, उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि वह कौन सा रास्ता अपनाएंगे। मुझे नहीं लगता कि उन्हें भी इस बारे में पता है। मुझे लगता है कि वह चीन के साथ भू-रणनीतिक संबंध देखते हैं, विशेष रूप से व्यापार के चश्मे से।

भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण स्थिति में ट्रंप किसका समर्थन करेंगे, नही मालूम- बोल्टन

उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि ट्रंप नवंबर के चुनाव के बाद क्या करेंगे। वह बड़े चीन व्यापार समझौते पर वापस आएंगे। यदि भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न होती है, तो मुझे नहीं पता कि वह किसका समर्थन करेंगे। बोल्टन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ट्रंप को भारत और चीन के बीच दशकों के दौरान हुई झड़पों के इतिहास की कोई जानकारी है। हो सकता है कि ट्रंप को इस बारे में जानकारी दी गई हो, लेकिन वह इतिहास को लेकर सहज नहीं हैं। बोल्टन ट्रंप प्रशासन में अप्रैल 2018 से सितंबर 2019 तक अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहार थे।

बोल्टन ने कहा- ट्रंप चाहेंगे सीमा पर शांति हो, इससे चीन को लाभ हो या भारत को

उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि वह अगले चार महीनों के दौरान ऐसी सभी चीजों से परहेज करेंगे जो उनके चुनाव को और जटिल बनाए, जो पहले से ही उनके लिए मुश्किल चुनाव है। इसलिए वह चाहेंगे कि सीमा पर शांति हो। चाहे इससे चीन को लाभ हो या भारत को। उनके नजरिये से कोई खबर नहीं होना अच्छी खबर है।


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