सबरीमालाः अरुण जेटली बोले- सरकारी आदेशों से नहीं समाज के जरिए आना चाहिए बदलाव
केरल में चल रहे सबरीमाला विवाद पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सोसाइटी के लिए यह ज्यादा बेहतर होगा कि वह खुद बदलाव करें ना कि सरकार के जनादेश द्वारा यह किया जाए।
नई दिल्ली, [एजेंसी]। केरल में चल रहे सबरीमाला विवाद पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सोसाइटी के लिए यह ज्यादा बेहतर होगा कि वह खुद बदलाव करें ना कि सरकारी आदेशों से यह कराया जाए। बता दें कि सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हंगामा मचा हुआ है। सबरीमाला मंदिर में 10 से 55 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर मनाही है। इस रोक को सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी मानते हुए हटा दिया। इसके बाद से महिलाओं सहित कई संगठनों ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए प्रदर्शन किया।
जेटली ने सबरीमाला विवाद पर अपने विचार रखते हुए कहा कि एक मौलिक अधिकार दूसरे को कम नहीं कर सकता है। जब भी धार्मिक परंपरा और धर्म प्रबंधन की बात होती है तो मानवीय मूल्यों के प्रति शत्रूतापूर्ण रवैया अखित्यार नहीं किया जा सकता जब तक कि मूल अधिकार पर आंच ना आए। बता दें कि सुबह केरल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश को रोकने वालों से सहमति जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कुछ लोग इस परंपरा को जारी रखने के पक्ष में हैं। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल व्याख्यान में यह सारी बातें रखीं। उन्होंने कहा कि जिस संविधान सभा ने हमें बराबरी और अात्मसम्मान से जीने का हक दिया है उसी ने हमें धर्म का अधिकार दिया है।
इसके साथ ही धार्मिक संस्थाओं को भी अपना अधिकार है। क्या एक मौलिक अधिकार दूसरे को खत्म कर सकता है? इसके जवाब में उन्होंने साफ कहा ऐसा नहीं हो सकता है क्योंकि दोनों अधिकार को समान रूप में मान्यता मिली है।
उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से भारतीय समाज एक करवट ले रहा है। सामाजिक सुधार हो रहे हैं। बाल विवाह, सती प्रथा, द्विविवाह का प्रथा और बहुविवाह पर प्रतिबंध और विधवा पुनर्विवाह की अनुमति देना जैसे बदलाव हुए हैं। महिलाओं को संपत्ति में समानता मिलना भी एक सामाजिक सुधार है। इसलिए समाज को बिना किसी बाहरी दवाब से खुद से बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए।