जयराम रमेश ने उठाए सवाल, कहा- कांग्रेस के पुनर्गठन की जरूरत, नहीं तो औचित्य खो देगी पार्टी
वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को अब बड़ी बेरहमी से खुद को नए सिरे से गढ़ना होगा अन्यथा उसे भविष्य में निरर्थक होने का सामना करना पड़ेगा।
कोच्चि, प्रेट्र। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार पर पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सुझाव दिया कि पार्टी को अब बड़ी बेरहमी से खुद को नए सिरे से गढ़ना होगा, अन्यथा उसे भविष्य में निरर्थक होने का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अब पीएफआइ या जमात-ए-इस्लामी जैसे सांप्रदायिक दलों के खिलाफ भी सख्त होना होगा। पार्टी इसमें केवल एक पक्ष को नहीं चुन सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को सीएए विरोधी प्रदर्शनों की तरह ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का भी जमकर विरोध करना होगा।
कांग्रेस नेताओं को अब खुद को बेदर्दी से गढ़ना होगा
बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस की खराब स्थिति पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा कि वास्तव में हम बिहार में कहीं नहीं हैं। उत्तर प्रदेश से लगभग विलुप्त हो चुके हैं। लेकिन हम राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा में मजबूती से वापसी कर पाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को अब खुद को बेदर्दी से गढ़ना होगा। अगर कांग्रेस पार्टी को अपनी सार्थकता बनाए रखनी है तो उसे पुनर्गठन की जरूरत है। अन्यथा हम अपना औचित्य खोने वाले हैं। हमें हेकड़ी को छोड़ना होगा। छह साल से भी अधिक समय से सत्ता से दूर रहने के बावजूद हममें से कई ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे अभी भी मंत्री हों। नेतृत्व के मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयराम रमेश ने कहा कि स्थानीय स्तर के नेताओं को बढ़ावा देने होगा और उन्हें सही तरीके से शिक्षित करना होगा। उन्हें स्वतंत्रता और स्वायत्तता दी जानी चाहिए। हमारे नेतृत्व के स्वरूप और शैली में बदलाव की जरूरत है।
पीएफआइ जैसे सांप्रदायिक संगठनों के खिलाफ भी बोलना चाहिए
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि वह इस प्रचार से चिंतित हैं कि कांग्रेस देश में अल्पसंख्यकों के कट्टरवाद को लेकर नरमी दिखाती है। पार्टी ऐसे मुद्दों पर केवल एक पक्ष के साथ नजर नहीं आ सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि कांग्रेस को पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) जैसे सांप्रदायिक संगठनों के खिलाफ भी बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे सांप्रदायिक संगठन पीएफआइ और जमात-ए-इस्लामी भी भारत के लिए उतने ही खतरनाक हैं।
इससे पहले, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी सीएए पर कहा था कि हम बहुसंख्यकों की भावनाओं के प्रति असंवेदनशील नहीं नजर आ सकते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने भी कहा था कि दिल्ली चुनाव में शर्मनाक हार के बाद पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए 'सर्जिकल स्ट्राइक' की जरूरत है।
शाहीन बाग के लोग एनपीआर, एनआरसी का विरोध करें
जयराम रमेश ने दावा किया कि नई दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ने भाजपा के सांप्रदायिक हितों के साथ ही सांप्रदायिक मुसलमानों के हितों की भी पूर्ति की है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि शाहीन बाग के लोग किस बात के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। क्या उन्हें इस बात का डर है कि उनकी नागरिकता उनसे छिन जाएगी। लेकिन यह उनका भावीडर है। और अगर ऐसा है तो फिर उन्हें एनपीआर और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन करना चाहिए। उनकी भावनाएं समझकर मैं मान सकता हूं कि प्रदर्शन चार दिन-पांच दिन चले। लेकिन इसके बाद इसने भाजपा के ही हितों को साधा है। इसीलिए उसने शाहीन बाग के प्रदर्शन को जारी रहने दिया।