Move to Jagran APP

दादी की तरह दिखनेवाली प्रियंका लोकप्रियता में राहुल को भी देती हैं मात

देश के सबसे बड़े राजनीतिक घराने गांधी-नेहरू परिवार में 12 जनवरी 1972 को जन्मीं प्रियंका गांधी वाड्रा शुक्रवार को 45 साल की हो गईं।

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 12 Jan 2018 06:42 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jan 2018 09:38 PM (IST)
दादी की तरह दिखनेवाली प्रियंका लोकप्रियता में राहुल को भी देती हैं मात
दादी की तरह दिखनेवाली प्रियंका लोकप्रियता में राहुल को भी देती हैं मात

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। प्रियंका गांधी वाड्रा को तो आप जानते ही हैं। आपने कई बार लोगों को यह कहते हुए भी सुना होगा कि वह बिल्कुल अपनी दादी इंदिरा गांधी जैसी दिखती हैं। खुद आपने भी कई बार दोनों की तस्वीरों को अगल-बगल रखकर दोनों के बीच गजब की समानता को एकटक देखा होगा। देश के सबसे बड़े राजनीतिक घराने गांधी-नेहरू परिवार में 12 जनवरी 1972 को जन्मीं प्रियंका गांधी वाड्रा शुक्रवार को 45 साल की हो गईं।

loksabha election banner

पारिवारिक पृष्ठभूमि

राजीव और सोनिया गांधी के घर जिस समय प्रियंका का जन्म हुआ उस समय उनकी दादी यानि इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। बाद में उनके पिता राजीव गांधी भी देश के प्रधानमंत्री बने और मां सोनियां गांधी करीब 20 साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रही और उनकी अध्यक्षता में ही डॉ. मनमोहन सिंह करीब 10 साल यूपीए की तरफ से प्रधानमंत्री रहे। 

तीन साल की प्रियंका और इमरजेंसी

प्रियंका गांधी अभी तीन साल और उनके भाई राहुल गांधी पांच के ही थे कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा दी। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक करीब 21 महीने देश में आपातकाल लागू रहा। इस दौरान तमाम विपक्षी नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया और अखबारों पर भी सेंसरशिप लागू कर दी गई थी। जब तक देश से आपातकाल खत्म होता प्रियंका करीब 5 साल की हो चुकी थी। जब प्रियंका ने स्कूल जाना शुरू किया होगा, तब तक देश में फिर से हालात सामान्य हो चुके थे। लेकिन अब उनकी दादी देश की प्रधानमंत्री नहीं थीं। करीब तीन साल मोरारजी देसाई और चौधरी चरण सिंह ने बारी-बारी से प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। फिर 1980 में दादी इंदिरा गांधी एक बार फिर देश की सर्वोच्च नेता थीं।

जब प्यारी दादी को मार दिया

जब दादी फिर से प्रधानमंत्री बनीं तब तक प्रियंका गांधी 8 साल की हो चुकी थीं। अब वह अपने आसपास होने वाली चीजों को समझने लगी थीं। इस बीच चार साल कब गुजर गए शायद प्रियंका को भी पता न चले होंगे। आखिरकार 31 अक्टूबर 1984 का वह काला दिन भी आ ही गया, जब 12 वर्षीय प्रियंका की दादी इंदिरा को उनके ही बॉडीगार्ड ने गोली मार दी। 12 वर्षीय प्रियंका ने जब अपने सामने अपनी प्यारी दादी का शव देखा होगा तो न जाने मन में कैसे-कैसे विचार आए होंगे। कितना फूट-फूटकर रोई होगी वो उस दिन। परिवार में सबसे बड़ी और सबसे प्यारी दादी के साथ अब न खेल पाने के अहसास से ही संभवत: 12 साल की यह बच्ची उसी दिन जवान हो गई होगी।

पापा ने संभाली दादी की कुर्सी

दादी के जाने का दुख प्रियंका को जहां परेशान कर रहा होगा, वहीं अब उन्हें संभवत: यह भी अहसास होगा कि अब उनके पिता के हाथ देश की कमान है। पिता राजीव गांधी अगले अगले 5 साल प्रधानमंत्री रहे। इस बीच प्रियंका भी प्रौढ़ावस्था से बालिग होने जा रही थी। 1989 में कांग्रेस की हार हुई और उनके पिता की पीएम की कुर्सी भी जाती रही।

पिता के जाने से लगा धक्का

प्रियंका गांधी अभी बालिग हुई ही थी कि 21 मई 1991 को उनके पिता राजीव गांधी की भी हत्या हो गई। दादी को पहले ही खो चुकी प्रियंका को पिता का साया इस तरह से उठ जाने की घटना ने अंदर तक तोड़ दिया होगा। लेकिन किसी तरह उन्हें फिर से उठ खड़ा होना था। भाई राहुल गांधी भी अब तक 21 साल के हो चुके थे। मां भी भारतीय संस्कृति में खुद को ढालने की अब तक कोशिश ही कर रही थी। शायद वह भी नहीं जानती होगी कि पहले सास और अब पति का साया सिर से उठ जाने के बाद वह आगे का जीवन कैसे काटेंगी। प्रियंका ने उस समय अपने भाई राहुल गांधी और मां दोनों को किसी तरह संभाला होगा। जैसे वह आज भी कई बार करते हुए दिखती हैं।

शादी और पति रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप

करीब 25 साल की प्रियंका की 18 फरवरी 1997 को व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा के साथ शादी हुई। हिंदू रीति-रिवाजों के साथ 10 जनपथ से वह विदा हुईं। उनके दो बच्चे बेटा रेहान और बेटी मिराया हैं। साल 2004 से 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए ने देश में राज किया। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे, लेकिन जानकार और आलोचक मानते हैं कि पर्दे के पीछे से राज प्रियंका की मां सोनिया गांधी ही चला रही थीं। इस दौरान प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा पर कई जमीन सौदों को लेकर उंगलियां उठीं। रॉबर्ट वाड्रा पर कई केस भी हुए, लेकिन इस दौरान भी प्रियंका ने अपने को शांत बनाए रखा। पहले दादी की हत्या और फिर पिता का साया उठने के बाद शायद विपरीत परिस्थितियों को झेलने की उन्हें आदत हो चुकी थी।

मां सोनिया की सहयोगी और भाई राहुल की प्रेरणा

प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी का हरदम साथ देती हैं। और भाई राहुल गांधी के लिए तो वह किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं। हर विपरीत परिस्थिति में वह इन दोनों के साथ खड़ी नजर आती हैं। लेकिन प्रियंका ने खुद को राजनीति से दूर रखा है। जबकि कांग्रेस में गाहे-बगाहे प्रियंका गांधी को कमान सौंपने की मांग उठती रही है। प्रियंका अपनी मां के लिए राय बरेली और भाई राहुल गांधी के लिए अमेठी लोकसभा क्षेत्र में प्रचार करती हैं। लेकिन खुद राजनीति में आने के प्रश्नों को वह टाल जाती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.