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उमर ने कहा- कांग्रेस के बिना 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला संभव नहीं

उमर ने कहा कि भाजपा से मुकाबला करने के लिए क्षेत्रीय दलों की एकजुटता को लेकर लगातार चर्चा जारी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 28 Jul 2018 07:22 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 07:57 AM (IST)
उमर ने कहा- कांग्रेस के बिना 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला संभव नहीं
उमर ने कहा- कांग्रेस के बिना 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला संभव नहीं

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोलकाता दौरे पर आए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बिना भाजपा से मुकाबला संभव नहीं है। एक दिन पहले यहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ हुई मुलाकात और उनके द्वारा फेडरल फ्रंट में शामिल होने के प्रस्ताव पर उमर ने कहा कि इस बारे में हम चर्चा कर रहे हैं कि कैसे क्षेत्रीय दलों को साथ लाकर भाजपा को लोकसभा चुनाव में चुनौती दी जा सकती है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट कहा कि विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास तब तक सफल नहीं होगा जब तक कि कांग्रेस हमारी उम्मीदों के मुताबिक भाजपा को चुनौती नहीं देती।

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सभी क्षेत्रीय दलों को साथ लाने के लिए सोनिया गांधी कर रही हैं प्रयास

एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उमर ने कहा कि भाजपा से मुकाबला करने के लिए क्षेत्रीय दलों की एकजुटता को लेकर लगातार चर्चा जारी है। सभी क्षेत्रीय व विपक्षी दलों को साथ लाने के लिए खासकर सोनिया गांधी की ओर से कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि जैसे-जैसे 2019 के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह चर्चा बड़ा आकार लेगी और सभी विपक्षी दल साथ होंगे।

गौरतलब है कि तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर गैर कांग्रेस, गैर भाजपा मोर्चा बनाने की कवायद में लंबे समय से जुटी हैं। शुक्रवार को उमर ने राज्य सचिवालय में ममता से मुलाकात भी की थी और कहा था कि ममता को मैं दिल्ली में देखना चाहता हूं। हालांकि पीएम उम्मीदवार के सवाल को उन्होंने टाल दिया था।

1947 के समझौते का सम्मान होता तो कश्मीर में खून-खराबा न होता

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटना पर पूछे गए सवाल पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर 1947 में कश्मीर और भारत के बीच विलय के वक्त हुए समझौते का सम्मान हुआ होता तो राज्य में आज खून-खराबा नहीं होता। उन्होंने कहा कि ऐसा न होने की वजह से पड़ोसी देश पाकिस्तान के लिए लोगों का जीवन दूभर करना आसान हो गया।


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