खाड़ी देशों के साथ रिश्तों को भारत देगी और धार, जानें- इसके पीछे क्या है कारण
वैश्विक मंदी के बावजूद भारत व सउदी अरब के बीच का द्विपक्षीय कारोबार 10 फीसद की सालाना गति से बढ़ रहा है और इस वर्ष इसके 30 अरब डॉलर होने के आसार हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पीएम की बहरीन और यूएई यात्रा के अभी कुछ ही दिन बीते हैं कि पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान यूएई, सउदी अरब और कतर की यात्रा पर पहुंच गये हैं। वैश्विक मंदी के बावजूद भारत व सउदी अरब के बीच का द्विपक्षीय कारोबार 10 फीसद की सालाना गति से बढ़ रहा है और इस वर्ष इसके 30 अरब डॉलर होने के आसार हैं।
यूएई और भारत के बीच 'तेल के बदले अनाज' पद्धति पर द्विपक्षीय कारोबार करने को लेकर बातचीत काफी तेजी से आगे बढ़ रही है। कुवैत, कतर, बहरीन जैसे दूसरे देशों को भी भारत उनकी मांग के मुताबिक अनाज व फल-सब्जियों को आपूर्ति करने वाले देश के तौर पर उभर रहा है।
सउदी अरब और यूएई भारत में सबसे बड़े निवेशक के तौर पर स्थापित होने जा रहे हैं। यही नहीं इन देशों के साथ भारत के रणनीतिक व सामरिक रिश्तों को भी प्रगाढ़ करने के लिए कई चरणों पर बात होने जा रही है। इनमें से कई देशों के साथ भारत की आतंकवाद व कट्टरपन के खिलाफ नया सहयोग भी होने जा रहा है।
खाड़ी के देशों के साथ रिश्तों को नई दिशा देने की प्रक्रिया
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान खाड़ी के देशों के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को नई दिशा देने की जो प्रक्रिया शुरु की थी उसे अब नई उंचाई पर पहुंचाने का काम दूसरे कार्यकाल में किया जाएगा। ईरान के अलावा खाड़ी क्षेत्र के अन्य सभी देशों के साथ भारत की भावी रणनीति का खाका तैयार है जिसे धीरे धीरे अगले पांच वर्षो में अंजाम दिया जाएगा। अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से भारत के लिए ईरान के साथ कारोबारी रिश्ते को सामान्य तरीके से चलाना अभी मुश्किल हो गया है। इसके बावजूद पिछले हफ्ते ही पीएम नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में ईरान के साथ कानून सम्मत कारोबार करने की बात कही गई है।
अगले पांच वर्षो में काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ईरान के अलावा खाड़ी के अन्य सभी देशों के साथ भारत के कारोबारी व रणनीतिक रिश्ते अगले पांच वर्षो में काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। इन देशों के साथ रिश्ता सिर्फ तेल व गैस खरीद तक नहीं रहेगा बल्कि द्विपक्षीय हितों की रक्षा पर आधारित होगा। इसकी शुरुआत सउदी अरब और यूएई की तरफ से भारत के ढांचागत क्षेत्र में निवेश से जल्द हो सकती है। इन दोनो देशों ने भारत में 100-100 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा कर रखी है। इस वर्ष से इस घोषणा के तहत निवेश की शुरुआत होने जा रही है।
खाड़ी देशों के साथ नजदीकियों के पीछे पाकिस्तान भी एक कारण
खाड़ी देशों के साथ नजदीकियों को बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दे रही मोदी सरकार की योजना के पीछे बहुत हद तक पाकिस्तान भी एक कारण है। पाकिस्तान कश्मीर को लेकर हमेशा इस्लामिक देशों में अपना एजेंडा तय करने की कोशिश करता है। लेकिन पिछले 4-5 वर्षो से पाकिस्तान का यह एजेंडा बहुत काम नहीं कर रहा है। पिछले वर्ष पाकिस्तान के बेहद विरोध के बावजूद इस्लामिक देशों के संगठन ओआइसी ने अपने सालाना बैठक में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आमंत्रित किया था।
कश्मीर से धारा 370 हटाने के मुद्दे पर भी खाड़ी के देशों ने भारत के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की है। इन देशों के हितों का भी भारत पूरी तरह से ख्याल रखा रहा है। खाड़ी के देशों को प्रशिक्षित श्रम देने के साथ ही उनके तेल के बदले अनाज देने को लेकर भी भारत की बातचीत की जा रही है। इस बारे में भी जल्द अहम घोषणाओं की उम्मीद है।
क्यों महत्वपूर्ण है खाड़ी देश :
-खाड़ी देशों के साथ भारत द्विपक्षीय कारोबार 100 अरब डॉलर को पार
-खाड़ी में 75 लाख भारतीय, सालाना भेजते हैं 55 अरब डॉलर की राशि
-इस्लामिक देशों के संगठन ओआइसी में इनका है दबदबा
-अपनी ऊर्जा जरुरत के लिए इन्हीं देशों पर आश्रित है भारत
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