Move to Jagran APP

भारतीय विशेषज्ञों ने बताया कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से बचाव के लिए सबसे आसान तरीका, आप भी जानें

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन (Omicron Variant of Coronavirus) को लेकर विश्व भर में बढ़ते डर के माहौल के बीच विशेषज्ञों ने इससे बचाव के लिए सबसे आसान तरीका बताया है। खासकर उनके लिए जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 12 Dec 2021 10:13 PM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 12:01 PM (IST)
भारतीय विशेषज्ञों ने बताया कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से बचाव के लिए सबसे आसान तरीका, आप भी जानें
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर डर के बीच विशेषज्ञों ने बचाव के लिए सबसे आसान तरीका बताया है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर विश्व भर में बढ़ते डर के माहौल के बीच कुछ राहत की खबर आई है। कोरोना रोधी वैक्सीन की बूस्टर डोज को ओमिक्रोन वैरिएंट के खिलाफ कारगर पाया गया है। विज्ञानियों के मुताबिक बूस्टर डोज से एंटीबाडी की मात्रा बढ़ती है और ओमिक्रोन के लक्षण वाले संक्रमण से यह सुरक्षा प्रदान करती है। इससे स्पष्ट है कि ओमिक्रोन से बचाव के लिए सबसे आसान तरीका बूस्टर डोज है, खासकर उनके लिए जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।

loksabha election banner

कोविशील्ड की बूस्टर डोज असरदार

प्रख्यात विषाणु विज्ञानियों (वायरोलाजिस्ट) और संक्रामक रोग विशेषज्ञों (एपिडोमियोलाजिस्ट) ने ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) के उस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ये बात कही हैं जिसमें बताया गया है कि कोविशील्ड की बूस्टर डोज ओमिक्रोन के खिलाफ असरदार है और इसके लक्षण वाले संक्रमण के खिलाफ 70-75 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है। इनका कहना है कि कोई भी वैक्सीन (पोलियो और चेचक की वैक्सीन को छोड़कर) तेजी से एंटीबाडी के स्तर को बढ़ाती है।

दूसरी डोज की बताई सही मियाद

वायरोलाजिस्ट डा. शाहिद जमील ने कहा कि कोरोना रोधी वैक्सीन की दो डोज के बाद बूस्टर डोज शरीर में एंटीबाडीज की मात्रा को बढ़ाती है और ओमिक्रोन के लक्षण वाले संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। उन्होंने कहा, 'हम नहीं जानते कि गंभीर बीमारी के खिलाफ दो डोज कितना प्रभावी रहती है।' एक सवाल पर उन्होंने कहा कि जिन लोगों को कोविशील्ड की पहली डोज दी गई है, उन्हें दूसरी डोज 12-16 हफ्ते के बजाय आठ से 12 सप्ताह के अंतराल पर लगाई जानी चाहिए।

पोलिया-चेचक को छोड़कर कोई भी वैक्सीन प्रभावी

जाने-माने वायरोलाजिस्ट डा. टी जैकब जान का कहना है कि पोलियो और चेचक को छोड़कर कोई भी वैक्सीन शरीर में एंटीबाडी के स्तर को तेजी से बढ़ाती है। फाइजर की वैक्सीन से तो एंटीबाडी का स्तर 40 गुना तक बढ़ जाता है। ओमिक्रोन के खतरे से बचाने के लिए सबसे आसान तरीका बूस्टर डोज ही है खासकर उन लोगों के लिए जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर है।

बूस्टर डोज के लिए बढ़ रहा दबाव

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आफ इंडिया में संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डा. गिरिधर आर बाबू ने कि साक्ष्यों से प्रत्येक व्यक्ति को बूस्टर डोज लगाने का दबाव धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। हालांकि, इसका आकलन करना जरूरी है कि बूस्टर डोज में किसको प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

भारत के लिए बूस्टर डोज प्राथमिकता नहीं

संक्रामक रोग चिकित्सक और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि भारत जैसे देश के संदर्भ में बूस्टर डोज प्राथमिकता नहीं है। ओमिक्रोन से कुछ नहीं बदला है और बूस्टर डोज पर निर्णय करने के लिए भारत को अभी और स्वदेशी आंकड़े जुटाने चाहिए।

गंभीर बीमारी को रोकती हैं भारतीय वैक्सीन

डा. लहरिया ने कहा कि भारत में जो वैक्सीन जा रही हैं वह गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने की नौबत और मौत से भी सुरक्षा प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अध्ययन में यह भी सामने आया है कि हाइब्रिड प्रतिरक्षा सिर्फ टीकाकरण की तुलना में महामारी से ज्यादा सुरक्षा देती है। हाइब्रिड प्रतिरक्षा से मतलब किसी व्यक्ति में संक्रमित होने के बाद बनी एंटीबाडी और उसके बाद टीके कम से कम एक डोज से बनी एंटीबाडी के मिश्रण से है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.