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नेपाल को चीन के पंजे से बचाने के लिए भारत ने कसी कमर, दिया गैस पाइपलाइन का प्रस्ताव

चीन की तरफ से नेपाल को रेल व सड़क मार्ग से जोड़ने का काम चल रहा है। ऐसे में भारत नेपाल को लेकर सुस्ती नहीं दिखाना चाहता।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 09:09 PM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 12:23 AM (IST)
नेपाल को चीन के पंजे से बचाने के लिए भारत ने कसी कमर, दिया गैस पाइपलाइन का प्रस्ताव
नेपाल को चीन के पंजे से बचाने के लिए भारत ने कसी कमर, दिया गैस पाइपलाइन का प्रस्ताव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेपाल को चीन के पंजे से बचाने के लिए भारत अब कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहता। नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली की पिछली यात्रा के दौरान भारत ने एक साथ तीन रेल परियोजनाओं से नेपाल को जोड़ने का ऐलान कर आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने की नई कोशिश की थी। अब भारत ने नेपाल को एलपीजी व प्राकृतिक गैस की दो अलग अलग पाइपलाइन बिछाने का प्रस्ताव किया है।

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पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने नेपाल के अधिकारियो के साथ की चर्चा

पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने नेपाल यात्रा के दौरान शुक्रवार को इस प्रस्ताव के बारे में वहां के वाणिज्य व उद्योग मंत्री मातृका प्रसाद यादव से बात की। भारत व नेपाल के बीच एलपीजी पाइपलाइन बिछाने का मुद्दा इसलिए भी अहम है कि चीन लगातार इस कोशिश में जुटा है कि वह नेपाल को एलपीजी आपूर्ति शुरु कर सके।

पेट्रोलियम मंत्री प्रधान ने बताया है कि भारत की सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी इंडियन आयल और नेपाल की कंपनी एनओसी मिल कर एलपीजी व प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बिछाने की परियोजना का अध्ययन करेंगे। प्राकृतिक गैस पाइपलाइन की परियोजना नेपाल में उर्वरक व अन्य औद्योगिक कारखानों को विकसित करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

एलपीजी और प्राकृतिक गैस की पाइपलाइन बिछाने की योजना

सनद रहे रहे कि भारत अभी मोतीहारी (बिहार) से अमलेकगंज (नेपाल) तक पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति करने के लिए एक पाइपलाइन बिछा रहा है तो नेपाल के एक बड़े हिस्से में पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति की दिक्कतों को दूर कर देगा। दोनो देशों के मंत्रियो के बीच हुई वार्ता में इस पाइपलाइन को और आगे (चितवन तक) ले जाने पर भी चर्चा हुई है। भारत इसके लिए भी तैयार हो गया है लेकिन पहले मौजूदा 69 किलोमीटर लंबी परियोजना को पूरी करने पर ध्यान दिया जाएगा।

सनद रहे कि पूर्व में नेपाल और चीन के बीच एलपीजी आपूर्ति को लेकर बातचीत कई बार हो चुकी है। वर्ष 20014-15 में जब मधेशी आंदोलन की वजह से भारत से एलपीजी की आपूर्ति बंद हो गई थी तब चीन ने कहा था कि वह तिब्बत रूट से एलपीजी भेजेगा।

हालांकि यह अभी तक वार्ता के दौर में ही है। यह एक वजह है कि भारत नेपाल की समस्या का एक स्थाई हल देने की कोशिश कर रहा है। चीन की तरफ से नेपाल को रेल व सड़क मार्ग से जोड़ने का काम चल रहा है। ऐसे में भारत नेपाल के साथ अपने रिश्तों को लेकर बिल्कुल सुस्ती नहीं दिखाना चाहता।


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