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SCO Meet: ईरान को साधने में जुटा भारत, रक्षा मंत्री के बाद अब विदेश मंत्री जयशंकर जाएंगे तेहरान

भारत भविष्य में जिस तरह से मध्य एशियाई देशों के बाजार में पैर पसारने की सोच रहा है उसके लिए ईरान की मदद भी जरूरी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 09:01 PM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 09:01 PM (IST)
SCO Meet: ईरान को साधने में जुटा भारत, रक्षा मंत्री के बाद अब विदेश मंत्री जयशंकर जाएंगे तेहरान
SCO Meet: ईरान को साधने में जुटा भारत, रक्षा मंत्री के बाद अब विदेश मंत्री जयशंकर जाएंगे तेहरान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन के साथ बिगड़ते संबंधों के बीच भारत कतई नहीं चाहता कि ईरान के साथ रिश्ते इस मुकाम पर पहुंच जाए कि उसके हितों को नुकसान पहुंच जाए। यही वजह है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अचानक हुई ईरान यात्रा के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी तेहरान भेजा जा रहा है। जयशंकर 10 सितंबर को शंघाई सहयोग संघठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने मास्को जा रहे हैं और इस दौरान वह तेहरान भी रुकेंगे। जयशंकर और ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ के बीच द्विपक्षीय मुलाकात संभव है।

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भारत की विदेश नीति किसी दूसरी ताकत से प्रभावित नहीं होती

ईरान पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेहद तल्ख तेवर के बावजूद भारत ने ईरान के साथ रिश्तों को बनाये रखने का कदम उठा कर यह भी जताने की कोशिश कर रहा है कि उसकी विदेश नीति किसी दूसरी ताकत से प्रभावित नहीं होती है।

इन वजहों से ईरान के साथ रिश्ते भारत के लिए अहम हैं, चीन के साथ ईरान की बढ़ती नजदीकियां

जानकारों की मानें तो चार वजहों से ईरान के साथ रिश्ते भारत के लिए पहले से भी ज्यादा अहम हो गये हैं। पहली वजह चीन है जो ईरान को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। चीन की तरफ से ईरान में भारी भरकम निवेश करने की घोषणा की गई है। अमेरिकी प्रतिबंध के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग थलग पड़े ईरान को इससे काफी बल मिला है। कई विशेषज्ञ चीन-ईरान-पाकिस्तान के नेटवर्क उभरने की संभावना जता रहे हैं। दूसरी वजह यह है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के हटने के बाद वहां तालिबान का प्रभुत्व बढ़ेगा तब भारत व ईरान के हित एक जैसे होंगे। पाकिस्तान परस्त तालिबान भारत व ईरान को पसंद नहीं करता। ऐसे में दोनो देशों के बीच संपर्क बने रहने में ही भलाई है। अफगानिस्तान को भारत जो आर्थिक मदद दे रहा है उसे पहुंचाने के लिए भी ईरान की मदद चाहिए। तीसरी वजह यह है कि ईरान भारतीय उत्पादों का एक प्रमुख बाजार बनने की तरफ उभर रहा है।वर्ष 2011-12 के मुकाबले वर्ष 2019-20 में ईरान को भारत का निर्यात तकरीबन 45.60 फीसद बढ़ा है। अंतिम वजह यह है कि इस्लामिक देशों के संगठन में ईरान का महत्व है और उसने पूर्व में कई बार कश्मीर मुद्दे पर भारत की मदद की है। रिश्ते तनावपूर्ण होने पर ईरान इस मंच पर पाकिस्तान की मदद कर सकता है।

मध्य एशियाई देशों में पैर पसारने के लिए ईरान की मदद जरूरी

एक और वजह यह भी है कि भारत भविष्य में जिस तरह से मध्य एशियाई देशों के बाजार में पैर पसारने की सोच रहा है उसके लिए ईरान की मदद भी जरूरी है। ईरान भारत को तेल आपूर्ति करने वाला एक प्रमुख देश हुआ था करता था लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से यह अब खत्म हो चुका है। द्विपक्षीय कारोबार 17.33 अरब डॉलर (2018-29) से घट कर 4.77 (2019-20) हो चुका है। ऐसे में जयशंकर और जरीफ के बीच होने वाली बातचीत की खास अहमियत होगी।


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