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ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर ओपेक नहीं बढ़ा रहा तेल आपूर्ति

अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए भारतीय तेल कंपनियों ने तेजी से ईरान से तेल खरीद के सौदे किये हैं। प्रतिबंध 4 नवंबर से लागू होने की संभावना है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 08:45 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 12:32 AM (IST)
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर ओपेक नहीं बढ़ा रहा तेल आपूर्ति
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर ओपेक नहीं बढ़ा रहा तेल आपूर्ति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अपने प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देश ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होने के बढ़ते आसार के बीच भारत ने अपनी नाराजगी का इजहार किया है। भारत ने एक तरफ जहां तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) पर आरोप लगाया है कि वे वादे के मुताबिक ईरान की आपूर्ति की भरपाई के लिए कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका पर परोक्ष निशाना लगाते हुए कहा है कि आपूर्ति प्रभावित होने की वजह से नहीं बल्कि सेंटिमेंट्स की वजह से क्रूड महंगा हो रहा है।

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भारत के पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान का यह बयान तब आया है जब 4 नवंबर, 2018 से ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू हो जाएगा। इसकी वजह से ईरान से तेल खरीदने में भारत को भी परेशानी होने के आसार है।

वादे के मुताबिक ओपेक नहीं बढ़ा रहा आपूर्ति

प्रधान ने जब पूछा गया कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से बचने के लिए क्या किया जा रहा है तो उन्होंने बस यह कहा कि, 'हमने कुछ किया है। हम हर पक्ष के साथ बात कर रहे हैं।' हालांकि इसके बाद उन्होंने ओपेक देशों पर जम कर निशाना लगाया।

प्रधान ने कहा कि, 'ओपेक देशों ने जून, 2018 में कहा था कि वह तेल उत्पादन में 10 लाख बैरल प्रति दिन की बढ़ोतरी करेंगे, लेकिन हमारी सूचना है कि ऐसा नहीं हुआ है। दूसरी तरफ क्रूड की कीमतों को लेकर अस्थिरता बनी हुई है। यह अस्थिरता आपूर्ति बाधित होने की वजह से नहीं बनी है बल्कि बाजार का सेंटिमेंट्स प्रभावित होने की वजह से बनी है। इसके लिए भू-राजनैतिक हालात जिम्मेदार है। हमें यह समझना होगा कि क्रूड का स्थिर बाजार सभी के लिए बेहतर है।' प्रधान ने आश्वासन दिया कि भारत को तेल मिलने में कोई दिक्कत नहीं पेश आएगी।

सनद रहे कि अभी क्रूड की कीमतों में तेजी के पीछे सबसे बड़ी वजह ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध है। क्रूड की कीमत 86.74 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था। इससे भारत जैसे देशों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यह अपनी जरुरत का 83-84 फीसद बाहर से आयात करता है।

भारत अपनी जरुरत का तकरीबन 15 फीसद तेल ईरान से आयात करता है। इस वर्ष अभी तक 2.5 करोड़ टन क्रूड ईरान से आयात करने का समझौता हो चुका है। इसमे से कुछ नवंबर, 2018 में लागू प्रतिबंध के बाद के लिए किये गये हैं।

अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए भारतीय तेल कंपनियों ने काफी तेजी से ईरान से तेल खरीद के सौदे किये हैं। पिछले वर्ष 2.26 करोड़ टन क्रूड ईरान से खरीदा गया था। इस तरह से देखा जाए तो वर्ष 2017-18 के मुकाबले भारत ईरान से ज्यादा तेल खरीदने का समझौता कर चुका है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध 4 नवंबर से लागू होने की संभावना है। 


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