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India China Tension: भारत की दो टूक, चीन की LAC बदलने की हरकत से सीमा पर बढ़ा तनाव

शंघाई कोऑपरेशन काउंसिल की बैठक के लिए मॉस्को दौरे के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के अपने समकक्ष से मिलेंगे। चीनी समकक्ष के साथ बैठक की कोई जानकारी नहीं है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 05:25 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 08:00 AM (IST)
India China Tension: भारत की दो टूक, चीन की LAC बदलने की हरकत से सीमा पर बढ़ा तनाव
India China Tension: भारत की दो टूक, चीन की LAC बदलने की हरकत से सीमा पर बढ़ा तनाव

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख में बीते चार महीने से एलएसी पर जारी सैन्य तनातनी के लिए चीन की चालबाजी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के जरिये ही गतिरोध का हल निकालने की चीन को दो टूक नसीहत देते हुए भारत ने साफ कहा है कि एलएसी पर जमीनी यथास्थिति बदलने के चीनी प्रयासों ने मौजूदा तनाव को बढ़ाया है।

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सेना प्रमुख लद्दाख दौरे पर पहुंचे

इस बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के इलाके में बीते पांच दिनों से गहराए सैन्य तनाव का सीधे मोर्चे पर जायजा लेने के लिए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने गुरूवार को दो दिन के लद्दाख दौरे पर पहुंच गए हैं। जबकि एलएसी के ताजा गतिरोध का हल तलाशने के लिए ब्रिगेडियर स्तर की वार्ता लगातार पांचवे दिन भी चली।

पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सैनिकों के 29-30 और 31 अगस्त की रात घुसपैठ के नाकाम प्रयासों से बढ़े तनाव पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साफ कहा कि भारत बातचीत से सभी विवादों का हल निकालने के लिए प्रतिबद्ध है।

रणनीतिक चोटी पर भारतीय सेना के स्थिति मजबूत करने से चीन बेचैन

चीन की आक्रामक सैन्य रणनीति से किसी तरह दबाव में नहीं आने का संदेश देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि गतिरोध के हल का रास्ता बातचीत और समझौता ही है। विदेश मंत्रालय का यह रुख अहम इसीलिए है कि पैंगोंग त्सो इलाके के दक्षिणी किनारे की ब्लैक टॉप हिल की रणनीतिक चोटी पर भारतीय सेना के स्थिति मजबूत करने से चीन बेचैन है।

चीन ने पहले तो सैन्य ताकत के सहारे ब्लैक टॉप चोटी के इलाके से भारतीय सैनिकों को पीछे हटाने की कोशिश की। इसके लिए उसने तीन बार घुसपैठ का प्रयास किया। इसमें नाकाम रहने के बाद अपनी संप्रभुता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए ब्रिगेडियर स्तर की वार्ता में इन इलाकों से भारत से अपने सैनिकों को पीछे हटाने के लिए कह रहा है। जबकि भारत का साफ कहना है कि उसके सैनिक इस क्षेत्र में एलएसी के अपने इलाके में हैं।

चार दिन हुई वार्ता में कोई नतीजा नहीं निकल पाया

सेना की मजबूत हुई पोजीशन के बाद भारत पैंगोंग त्सो लेक के उत्तरी इलाकों से चीन को अपने सैनिकों को पीछे हटाने के लिए कह रहा। भारत के कड़े तेवरों के मद्देनजर ही ब्रिगेडियर स्तर की पहले चार दिन हुई वार्ता में कोई नतीजा नहीं निकल पाया।

गुरूवार को पांचवे दिन की हुई बैठक से भी अभी तक किसी तरह के नतीजों के संकेत नहीं दिए गए हैं। सैन्य वार्ताओं में तेवर अपनाने के साथ ही एलएसी के अग्रिम मोर्चो पर चीनी सैन्य आक्रामकता बढ़ने की आशंका को भी सेना नजरअंदाज नहीं कर रही है। विशेषकर पैंगोंग त्सो के दक्षिणी इलाकों में चीनी सेना की किसी तरह की कारस्तानी को रोकने के लिए खास सर्तकता बरती जा रही है।

सूत्रों के अनुसार लद्दाख दौरे पर पहुंचे सेना प्रमुख नरवाने ने पैंगोंग त्सो के संपूर्ण इलाके की सुरक्षा स्थितियों को लेकर स्थानीय कमांडरों के साथ विशेष समीक्षा बैठक की। अग्रिम मोर्चे के कमांडरों ने दुश्मन की चुनौतियों का जवाब देने के सेना की आपरेशन तैयारियों से भी सेना प्रमुख को रूबरू कराया।

सैन्य तनातनी के बीच ब्रिगेडियर स्तर की वार्ता में गतिरोध का हल निकालने के प्रयासों की चर्चा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन के विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा विवाद को जिम्मेदार तरीके से डील करने की बनी सहमति का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से उकसाने वाली कार्रवाईयों से बचा जाना चाहिए। हालांकि लगे हाथ अनुराग श्रीवास्तव ने साफ कर दिया कि भारत ऐसी किसी कार्रवाई में शामिल नहीं है बल्कि बीते चार महीने से यथास्थिति बदलने की चीन की एकतरफा कोशिशें गतिरोध की वजह हैं। चीन का यह एक्शन दोनों देशों के द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकाल के खिलाफ है जिसके चलते सीमा पर तीन दशक तक शांति और स्थायित्व रहा है।


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