तालिबान की वापसी पर भी खत्म नहीं होगी भारत की अहमियत
पिछले हफ्ते अफगानिस्तान मामले पर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जाल्माई खलिलजाद ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से द्विपक्षीय वार्ता की जिसमें तालिबान को आगे शामिल करने का मुद्दा सबसे अहम रहा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की अमेरिका और रूस ने भारत को हरसंभव आश्वस्त किया है कि वहां तालिबान के सरकारी व्यवस्था में लौटने के बावजूद भारत की अहमियत खत्म नहीं होगी। असलियत में अगर तालिबान को किसी तरह से सत्ता में जगह मिलती है तो इससे वहां दीर्घकालिक शांति स्थापित की जा सकती है जिसकी वजह से वहां भारत की अगुवाई में चलाये जा रहे विकास कार्यो की गति और तेज हो सकेगी। भारत को यह संदेश पिछले हफ्ते अमेरिका और रूस की तरफ से दिया गया है।
पिछले हफ्ते अफगानिस्तान मामले पर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जाल्माई खलिलजाद ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से द्विपक्षीय वार्ता की जिसमें तालिबान को आगे शामिल करने का मुद्दा सबसे अहम रहा। इसके अलावा नई दिल्ली में शुक्रवार को भारत व अमेरिका के बीच विदेश व रक्षा मंत्रालयों के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें भी अफगानिस्तान के भविष्य का मुद्दा काफी प्रमुखता से उठा। इसी तरह से रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव की विदेश सचिव विजय गोखले से 9 जनवरी, 2019 को नई दिल्ली में हुई वार्ता में तालिबान को लेकर भारत की आशंकाओं को दूर करने की भरसक कोशिश की गई। अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि के साथ स्वराज की हुई वार्ता को लेकर विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर बहुत कुछ नहीं कहा है लेकिन जानकारों का मानना है कि अमेरिका ने यह स्पष्ट तौर पर कहा है कि अफगानिस्तान में भारत के हितों को सुरक्षित रखने के लिए यह जरुरी है कि वहां स्थाई शांति की राह खुले।
अमेरिका व रूस की तरफ से मिले आश्वासन के बाद भारत का मन भी बदलता दिख रहा है। इसके संकेत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में पहले भारत-केंद्रीय एशिया डॉयलाग में एक सत्र को संबोधित करते हुए अपने भाषण में दिए हैं। उन्होंने कहा है कि, ''भारत अफगानिस्तान व इसकी जनता की तरफ से एक संयुक्त, संप्रभु, लोकतांत्रिक, शांतिप्रिय, स्थाई व समावेशी राष्ट्र बनाने की कोशिशों का समर्थन करता है। भारत अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की उन सभी कोशिशों का भी समर्थन करता है जो सभी को शामिल करने वाला हो और जो पूरी तरह से अफगानी लोगों के नेतृत्व व नियंत्रण में चलाया जाये।
पिछले 18 वर्षो में जो उपलब्धियां हासिल हुई हैं उन्हें भी बचाने की कोशिश होनी चाहिए।'' भारतीय विदेश मंत्री ने शांति प्रक्रिया में सभी को शामिल करने की बात कही है जिसके बड़े मायने निकाले जा रहे हैं। सनद रहे कि भारत-केंद्रीय एशियाई देशों के फोरम की इस पहली बैठक में अफगानिस्तान को भी शामिल किया गया है।