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चीन के साथ लंबी तनातनी के लिए भारत तैयार, सैन्य तैयारी भी पूरी, कूटनीतिक पर भी होगा जोर

चीन के साथ लंबी तनातनी के लिए भारत ने भी कमर कस ली है। भारत ने सैन्‍य स्‍तर पर भी तैयारियां पक्‍की कर ली है लेकिन सूत्र बताते हैं कि जोर कूटनीति पर भी रहेगा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 08:02 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 08:02 PM (IST)
चीन के साथ लंबी तनातनी के लिए भारत तैयार, सैन्य तैयारी भी पूरी, कूटनीतिक पर भी होगा जोर
चीन के साथ लंबी तनातनी के लिए भारत तैयार, सैन्य तैयारी भी पूरी, कूटनीतिक पर भी होगा जोर

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत चीन के बीच तनाव को खत्म करने के लिए यूं तो अलग अलग पर वार्ताओं का दौर चल रहा है लेकिन यह मानते हुए कि यह तनातनी लंबी चलेगी भारत पूरी दमखम के साथ सामरिक महत्व के सभी स्थलों पर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। पहले भी चीन जानबूझ कर विवाद को लंबा खींच कर सैन्‍य एवं कूटनीतिक स्तर पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाता रहा है लेकिन इस बार भारत भी उसी के लहजे में जवाब देगा। एक अधिकारी ने बताया कि चीन यदि साल, दो साल या इससे ज्यादा समय तक ऐसी ही स्थिति बनाए रखना चाहता है तो भी हमारी तैयारी भी उसी स्तर की है।

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इस बार भी चीन का रुख डोकलाम की तरह

दोनों देश गलवन नदी घाटी को लेकर नए दौर की बातचीत के लिए संपर्क में हैं। दोनों देशों के बीच अंतिम बातचीत 23 जून 2020 को सीमा मामलों को सुलझाने के लिए गठित वर्किग मेकानिज्म (डब्लूएमसीसी) के तहत हुई है। गलवन घाटी को लेकर दो बार कूटनीतिक और तीन बार सैन्य स्तर की बातचीत भी हो चुकी है। असलियत में छह जून 2020 को सैन्य कमांडर स्तरीय वार्ता में जो मामले को सुलझाने के लिए जो सहमति बनी थी अभी तक उसे लागू करने को लेकर ही चीन तैयार नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि यह रुख पूरी तरह से डोकलाम जैसा ही है।

सभी पड़ोसियों के साथ ऐसा ही रवैया

भारत-भूटान-चीन सीमा पर डोकलाम में चीनी सैनिकों ने जुलाई 2017 में अतिक्रमण किया था जिसे भारतीय सैन्य बलों ने रोक दिया था। इसके बाद 73 दिनों तक दोनों देशों के बीच गतिरोध जारी रहा था। उस समय भी पहली सैन्य स्तरीय वार्ता में चीनी कमांडर मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने को तैयार हो गया था लेकिन अमल करने में दो महीने से ज्यादा का समय लगा दिया गया था। दरअसल, सीमा संबंधी वार्ता को लंबा खींचना चीन की कूटनीतिक का हिस्सा रहा है। विएतनाम, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान जैसे पड़ोसियों के साथ भी सीमा संबंधी विवाद को लेकर चीन ऐसा ही रवैया अपनाता रहा है। रूस के साथ सीमा विवाद पर चीन ने साढ़े तीन दशकों तक बातचीत की थी।

इस बार भी भारत की मुकम्‍मल तैयारी

चीन सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ 1993 से ही विश्वास बहाली के लिए बातचीत कर रहा है। डब्लूएमसीसी की स्थापना किए भी आठ साल हो चुके हैं। दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अगुवाई में होने वाली बातचीत के भी कई दौर हो चुके हैं। चीन एक तरफ बातचीत को लंबा खींच कर प्रतिस्प‌र्द्धी को थकाने की रणनीति पर काम करता है तो दूसरी तरफ इस दौरान वह अपनी सैन्य तैयारियों को भी पक्का करता है। भारतीय पक्षकारों ने साल 2017 के डोकलाम विवाद के दौरान भी चीन की इस रणनीति का माकूल जवाब दिया था और इस बार भी तैयारी मुकम्मल है। 


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