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तेल के भंवर में फंसा भारत, बढ़ सकती है महंगाई, भारतीय सियासत पर गहरे इफेक्‍ट

अमेरिका-ईरान के भंवर में भारत भी फंस गया है। कच्‍चे तेल में लगातार उछाल से भारत सेमत तमाम मुल्‍कों में महंगाई बढ़ेगी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 10:36 AM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 03:34 PM (IST)
तेल के भंवर में फंसा भारत, बढ़ सकती है महंगाई, भारतीय सियासत पर गहरे इफेक्‍ट
तेल के भंवर में फंसा भारत, बढ़ सकती है महंगाई, भारतीय सियासत पर गहरे इफेक्‍ट

वॉशिंगटन  [ जागरण स्‍पेशल ]। अमेरिका और ईरान के तल्‍ख रिश्‍तों का असर भारत पर भी पड़ेगा। जी हां, कच्‍चे तेल में लगातार उछाल की मार से भारत समेत तमाम मुल्‍कों में महंगाई बढ़ सकती है। यह सब ऐसे समय हो रहा है, जब भारत में पांच राज्‍यों में विधानसभा के चुनाव होने है। इसके साथ ही वर्ष 2019 में देश में लोकसभा के चुनाव की तैयारी भी है। ऐसे में मौजूदा भाजपा सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती इस समस्‍या से निपटने की होगी। हालांकि, भारत समेत तमाम मित्र राष्‍ट्रों की चिंताओं के मद्देनजर अमेरिका के राष्‍ट्रपति ने अभी से पहल शुरू कर दिया है। शनिवार को अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्‍दुल अजीज अल सऊद से मुलाकात इस कड़ी में देखा जा रहा है। आइए जानते हैं क्‍यों बढ़ेगी महंगाई। इसके पीछे क्‍या है ईरान फैक्‍टर। इसके साथ ही दुनिया में कच्‍चे तेल के सर्वाधिक उत्‍पादन और खपत करने वाले मुल्‍कों की एक सूची।

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चार नवंबर से ईरान पर प्रतिबंध लागू

ईरान में चार नवंबर से ही तेल से जुड़े प्रतिबंध लागू हो जाएंगे। तब कच्‍चे तेल का दाम सौ डालर प्रति बैरल पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। इससे भारत समेत दुनिया भर में महंगाई की आशंका जताई जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि महंगाई का असर प्रभावित देशों के विकास दर पर भी पड़ेगा। इसका सबसे ज्‍यादा असर भारत, चीन जापान जैसे मुल्‍कों पर ज्‍यादा पड़ेगा। दरअसल, सर्दियों में तेल की मांग तेजी से बढ़ जाती है। जाहिर है, अमेरिका और यूरोप में भी तेल की मांग बढ़ेगी। ऐसे में अमेरिका में तेल उत्‍पादन बढ़ाने के बावजूद वह भारत को ज्‍यादा आपूर्ति बढ़ाने में सक्षम नहीं होगा। इसलिए भारत समेत तमाम एशियाई देशों के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर रहना मजबूरी होती है।

सर्वाधिक असर एशियाई मुल्‍कों पर

उत्‍पादन के लिहाज से देखा जाए तो कच्‍चे तेल का सर्वाधिक उत्‍पादन एशियाई मुल्‍कों में ही होता है। चीन समेत खाड़ी देशों के मुल्‍कों का कच्‍चा तेल के उत्‍पादन में दबदबा है। पूरी दुनिया में में करीब चालीस फीसद कच्‍चा तेल का उत्‍पादन यहीं होता है। लेकिन इन प्रतिबंधों का सर्वाधिक असर भी एशियाई मुल्‍कों पर ही पड़ने वाला है। सर्वाधिक प्रभावित देशों में भारत, चीन, जापान, ताइवान एवं यूक्रेन शामिल हैं। हालांकि, इस प्रतिबंध का सबसे ज्‍यादा फायदा सऊदी अरब, इराक, यूएई, रूस, नाइजेरिया और कोलंबिया को होगा।

आठ साल पूर्व उत्‍पन्‍न हुई थी ऐसी स्थिति

आठ वर्ष पूर्व तेल की बढ़ती कीमतों से केंद्र मी मनमाेहन सरकार हिल गई थी। इसका सीधा असर देश की सियासत पर पड़ा था। वर्ष 2011 में देश दुनिया में तेल की कीमत नई ऊंचाइयों पर थी और बड़े देशों की अर्थव्‍यवस्‍था हिल गई थी। हालांकि, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2018 में अमेरिका भारत चीन जैसे देशों की स्थिति ज्‍यादा मजबूत है, ऐसे में नुकसान पहले जितना नहीं होगा। लेकिन यह तो वक्‍त बताएगा कि भारत इस स्थिति में कैसे निपटेगा।

कच्‍चे तेल के उत्‍पादन में दुनिया के देश

अमेरिका कच्‍चे तेल का सबसे बड़ा उत्‍पादक और खपत करने वाला देश है। कच्‍चे तेल के उत्‍पादन के लिहाज से सऊदी अरब दूसरे स्‍थान पर है। तीसरे स्‍थान पर रूस और चौथे स्‍थान पर कनाडा है। उत्‍पादन के लिहाज से चीन पांचवें स्‍थान पर है। ईरान और इराक क्रमश: छठे और सातवें स्‍थान पर है। यूएइ, ब्राजील और कुवैत आठवें, नवें एवं दसवें स्‍थान पर है।

तेल के बड़े उपभोक्‍ता

अमेरिका दुनिया का तेल का सर्वाधिक खपत करने वाला देश है। यानी सबसे बड़ा उपभोक्‍ता अमेरिका है। दूसरे स्‍थान पर चीन है। तेल खपत के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। जापान, रूस और सऊदी क्रमश: चौथे, पांचवें और छठे स्‍थान पर हैं। इस क्रम में ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका एवं जर्मनी सातवें, आठवें और नौवें स्‍थान पर है।

पांच राज्‍यों के चुनाव पर तेल इफेक्‍ट

लोकसभा के पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मिजोरम विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इन पांच राज्‍यों में होने वाले विधासभा चुनावों पर सबकी नजर है। इसे लोकसभा चुनाव के पहले एक सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में यदि तेल के दामों में बढ़ोत्‍तरी हुई तो सत्‍ता पक्ष का चुनावी खेल बिगाड़ सकती है। इन पांच राज्‍यों में तीन राज्‍यों में भाजपा की सरकार है। चूंकि केंद्र में भी भाजपा की सरकार है, ऐसे में तेल फैक्‍टर काफी अहम हो जाता है।

अमेरिकी चिंता में भारत शामिल, ट्रंप-किंग की मुलाकात

इस चिंता को भांपते हुए ही अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने सऊदी अरब की किंग से मुलाकात की है। दोनों नेताओं ने दुनिया में कच्‍चे तेल की आपूर्ति को सामान्‍य बनाए रखने पर चर्चा की, ताकि वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था पर इसका असर नहीं पड़े। खासकर भारत, चीन और मिस्र जैसे देशों की अर्थव्‍यवस्‍था पर इसका नकारात्‍मक प्रभाव नहीं पड़े। यह मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब सऊदी की अगुआई वाले तेल उत्‍पादक देशों के संगठन आेपेक ने जून में ऐलान किया था कि वे राेजाना दस लाख बैरल उत्‍पादन बढ़ाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

दुनिया के पांच बड़े उपभोक्‍ता

1- अमेरिकी  20%

2- चीन       13%

3- भारत    04%

4- जापान  04%

5- रूस       04%

दुनिया के पांच बड़े तेल उत्‍पादक

1- अमेरिका  16%

2- सऊदी अरब 12.1%

3- रूस 11.2%

4- ईरान 4.7%

5- इराक 4.5%


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