पाक के विरोध के बाद भी भारत को मिली इंटरपोल सम्मेलन की मेजबानी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भावना के अनुरूप सीबीआइ निदेशक ने चिली सम्मेलन में भारत में 2022 में आयोजन का प्रस्ताव रखा था।
रवींद्र कैलासिया, भोपाल। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की पुलिस के बीच समन्वय करने वाली संस्था इंटरपोल के 2022 में होने वाले 91वें सम्मेलन की मेजबानी भारत को मिल गई है। पहले इस सम्मलेन की मेजबानी इंग्लैंड को करनी थी। पाकिस्तान के पुरजोर विरोध के बावजूद भारत को यह अवसर मिला है। 126 देशों ने इंग्लैंड को 2023 में मेजबानी का मौका देने के प्रस्ताव पर भी सहमति दी है।
इंटरपोल का चिली में 88वां सम्मेलन
हाल ही में इंटरपोल का 88वां सम्मेलन चिली में हुआ, जिसमें सीबीआइ निदेशक ऋषिकुमार शुक्ला, मध्य प्रदेश के डीजीपी विजय कुमार सिंह, दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक व सीबीआइ एसपी विजेंद्र बिदरी शामिल थे।
124 देशों का साथ मिलने से पाकिस्तान ने फिर मुंह की खाई
बताया जाता है कि भारत ने 2022 में अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के यादगार वर्ष में इस सम्मेलन की मेजबानी का प्रस्ताव रखा था। भारत के प्रस्ताव पर सम्मेलन में उपस्थित 126 देशों के प्रतिनिधियों ने मतदान किया। इनमें से दो देशों पाकिस्तान और अजरबेजान ने विरोध किया, लेकिन अन्य सभी 124 देशों ने अपनी सहमति दी। इससे पाकिस्तान को फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुंह की खानी पड़ी।
सीबीआइ निदेशक ने चिली सम्मेलन में भारत में आयोजन का प्रस्ताव रखा था
गौरतलब है कि 2022 के सम्मेलन का पूर्व में मेजबान इंग्लैंड को बनाया गया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भावना के अनुरूप सीबीआइ निदेशक शुक्ला ने चिली सम्मेलन में भारत में आयोजन का प्रस्ताव रखा था।
यूरोपीय देशों से होगा बेहतर समन्वय
सूत्रों के मुताबिक सम्मेलन में इंटरपोल के यूरोपीय देशों के साथ भारतीय पुलिस अधिकारियों की अलग-अलग मुलाकात हुई। इसमें अमेरिका व इंग्लैंड ने भारत के साथ कई नीतिगत समस्याओं पर अपनी तरफ से सहयोग का आश्वासन दिया। इसमें अपराध कर भागे विजय माल्या-ललित मोदी जैसे अपराधियों से लेकर सायबर क्राइम के प्रकरणों में यूरोप में बैठकर अपराध करने वाले अपराधियों को लेकर चर्चा हुई।
भारतीय पुलिस को मदद का आश्वासन
यूरोपीय देशों ने हर तरह के अपराध में भारतीय पुलिस की मदद का आश्वासन दिया। इसी तरह भारतीय पुलिस के साथ इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर भूटान और नेपाल पुलिस को चर्चा करनी थी, जिसके लिए भारतीय पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समय दिया। इन पड़ोसी देशों ने भी भारत से अपने यहां होने वाले अपराधों व आरोपितों के भारत में छुप जाने के मामलों से विवेचना में होने वाली परेशानियों को साझा किया।