India China Border Tension: अब एस जयशंकर और वांग यी की मुलाकात पर टिकी निगाहें, एससीओ की बैठक में होंगे शामिल
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि पूरी तरह से सैन्य वापसी तभी मानी जाएगी जब दोनों तरफ की सेनाएं एलएसी पर अपनी पहले की रेगुलर जगह पर चली जाएंगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीन के अड़ियल रवैये की वजह से पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारत और चीन के बीच पिछले 15 हफ्तों से ज्यादा समय से जारी तनाव को खत्म करने की राह नहीं निकल रही है। ऐसे में लगता है कि अब दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात के बाद ही कोई राह निकलेगी। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच 10 सितंबर के आसपास मुलाकात की संभावना बन रही है। दोनों मंत्रियों को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक
इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ज्यादा नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि, ''एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए भारतीय विदेश मंत्री का आमंत्रित किया गया है और उन्हें कब जाना है, इसके बारे में आगे जानकारी दी जाएगी।'' वैसे एससीओ में होने वाली इस संभावित बैठक से पहले जयशंकर और वांग ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की होने वाली वर्चुअल बैठक में भी हिस्सा लेंगे।
यह बैठक 4 सितंबर, 2020 को होगी और इसकी अगुवाई रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे। इसमें राजनीतिक व आर्थिक सहयोग पर बात तो होनी है लेकिन द्विपक्षीय मुद्दे नहीं उठेंगे। इसके पहले भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में गलवन नदी घाटी के पास खूनी झड़प हुई थी उसके अगले दिन ही जयशंकर और वांग यी के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। उस वार्ता में सीमा पर अमन-शांति बहाली बनाये रखने के लिए सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी को लेकर सहमति बनी थी लेकिन जमीनी तौर पर उसका कोई खास असर नहीं हुआ।
भारत व चीन के बीच मौजूदा विवाद को शांत करने की कोशिश कर रहा है चीन
एससीओ का इस वर्ष के लिए प्रमुख राष्ट्र रूस है और वह भारत व चीन के बीच मौजूदा विवाद को शांत करने की कोशिश भी कर रहा है। एससीओ के तत्वाधान में सभी सदस्य देशों के बीच एक सैन्य अभ्यास चल रहा है और इसमें हिस्सा लेने के लिए भारत ने भी अपना सैन्य दल भेजा है। इस अभ्यास में चीन, रूस, पाकिस्तान समेत अन्य सदस्य देशों के सैनिक शामिल हो रहे हैं। एससीओ के प्रमुखों की बैठक जुलाई में ही होनी तय थी, लेकिन कोविड-19 की वजह से उसे टाल दिया गया है। यह बैठक भी अक्टूबर, 2020 में कराने को लेकर बातचीत चल रही है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में हालात में पिछले दो महीनों से कोई बदलाव नहीं हुआ है।
चीन सैनिकों की वापसी के वादे का नहीं कर रहा है पालन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि, ''पूरी तरह से सैन्य वापसी तभी मानी जाएगी, जब दोनों तरफ की सेनाएं एलएसी पर अपनी पहले की रेगुलर जगह पर चली जाएंगी। यह सिर्फ पूर्व में बनी द्विपक्षीय व पारस्परिक सहमति के आधार पर कदम उठाने से ही होगा। यह ध्यान में रखने वाली बात है कि दोनो पक्षों को सहमति के मुताबिक काम करना होगा।''
यह बयान बताता है कि चीन की तरफ से दोनों देशों के बीच पूर्व में सैनिकों की वापसी को लेकर जो सहमति बनी थी, उसका पालन नहीं किया गया है। जबकि चीन की तरफ से लगातार यह कहा जा रहा है कि सहमति के मुताबिक दोनों पक्षों की तरफ से सैनिकों की वापसी की जा रही है। सनद रहे कि चीनी सैनिकों को सबसे पहले 4 मई, 2020 को एलएसी का उल्लंघन करते हुए पाया गया था। उसके बाद दोनो सेनाओं के बीच 15 जून, 2020 को खूनी झड़प हो चुकी है जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की जानें गई थी।