Move to Jagran APP

India China Border News: औद्योगिक और खाद्य संकट से बौखलाया चीन, 1962 जैसे हालात

India China Border News 1962 की स्थिति से तुलना करें तो उस समय भी ऐसी ही परिस्थितियां बनी थीं जब चीन ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 07:18 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 10:21 AM (IST)
India China Border News: औद्योगिक और खाद्य संकट से बौखलाया चीन, 1962 जैसे हालात
India China Border News: औद्योगिक और खाद्य संकट से बौखलाया चीन, 1962 जैसे हालात

नई दिल्ली, जेएनएन। India China Border News भारत और चीन के मध्य तनाव एक बार फिर चरम पर है। बैखलाहट में इस देश की दुनिया के कई देशों से ठन चुकी है। दरअसल इस वक्त चीन घरेलू स्तर पर औद्योगिक और खाद्य संकट से बुरी तरह घिरा हुआ है। वह अपनी कमजोरी को आक्रामकता से ढकने की कोशिश में जुटा है। चीन से तनातनी को लेकर कुछ वक्त पहले ही भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि 1962 के बाद यह सबसे गंभीर स्थिति है। 1962 की स्थिति से तुलना करें तो उस समय भी ऐसी ही परिस्थितियां बनी थीं, जब चीन ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा था। यह बात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा चलाए जा रहे दो कार्यक्रमों से स्पष्ट हो जाती है।

loksabha election banner

माओ और शी के सामने एक सी चुनौतियां: 1962 में चीन के नेता माओत्से तुंग को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। ग्रेट लीप फॉरवर्ड कार्यक्रम का विरोध करने वाले कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं पर माओ ने शिकंजा कसा। उस वक्त माओ ने भारत को एक आसान लक्ष्य समझा। आज भी चीन समान परिस्थितियों से गुजर रहा है। जहां खाद्य और औद्योगिक संकट उसके सामने हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीते कुछ सप्ताह में दो अभियान शुरू किए हैं, जिनमें एक घरेलू खपत बढ़ाने से जुड़ा है तो दूसरा ‘क्लीन प्लेट ड्राइव’ है। घरेलू खपत बढ़ाने के अभियान से साफ है कि चीन की अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है। वहीं दूसरा अभियान बताता है कि देश खाद्य संकट से जूझ रहा है।

कमजोरी को आक्रामकता से ढकने का हुनर जानता है चीन, भारत को मानता है नरम लक्ष्य: रिपोर्ट के अनुसार, यह वह समय है जब शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के कारण खजाने से बहुत अधिक धनराशि निकलने से कम्युनिस्ट पार्टी में मामला गरमाया हुआ है। जिनपिंग ने भी अपने विरोधियों को माओत्से तुंग के ग्रेट लीप फारवर्ड कार्यक्रम के समय दिए गए जवाब की ही तरह बेरहमी से जवाब दिया है। माओ ने अपना महत्वाकांक्षी कार्यक्रम 1958 में शुरू किया था। जिसका लक्ष्य 15 सालों में ब्रिटेन के औद्योगिक उत्पादन को मात देना और चीन में अनाज क्रांति लाना था। चीन के प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर के पीछे भट्ठी लगाकर स्टील का उत्पादन करना पड़ता था। साथ ही कृषि उत्पादन को केंद्रीय अन्न भंडार में भेजा जाने लगा। परिणामस्वरूप, गांवों में खाद्यान्न की कमी हो गई।

अनुमान है कि 1962 के युद्ध के चलते 2-3 सालों में ही चीन में भूख से 4 से 5 करोड़ लोगों की मौत हो गई। माओ ने जिस तरह से अपने विचार का विरोध करने वालों को ‘शुद्ध’ किया, उसी तरह से शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार से लड़ाई के नाम पर अपने विरोधियों को निपटा दिया। स्वीडन के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ बर्टिल लिंटनर ने अपनी किताब चाइनीज इंडिया वार में लिखा है कि पार्टी के भीतर माओ की स्थिति से समझौता कर लिया गया और माओ ने उग्र राष्ट्रवाद को त्याग दिया। साथ ही चीनी राष्ट्रवाद को बढ़ाते हुए भारत को नरम लक्ष्य मानते हुए आक्रामक रुख अपनाया गया।

आर्थिक मोर्चे पर निराशा का दौर: एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में औसत प्रति व्यक्ति खपत में करीब छह फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। सरकारी खरीद के साथ ही कुल खुदरा बिक्री में 11.5 फीसद की गिरावट दर्ज है। शी जिनपिंग के लिए यह चिंताजनक है कि वह चीन विरोधी रुख को अपनी निर्यातोन्मुख अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती के रूप में देखते हैं। रिपोर्ट का कहना है कि एक औसत चीनी कम खर्च कर रहा है और रोजगार की स्थिति भी ठीक नहीं है।

भारत को निशाना बनाने की कोशिश: चीन के सोशल मीडिया मंच पर खाद्य संकट को लेकर बात की जा रही है। कुछ विशेषज्ञों का आरोप है कि शी जिनपिंग की गलत नीतियों के कारण शहरों में कमाई नहीं रह गई है, ऐसे में लोग शहरों से गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं। कोविड-19 संकट ने भी नौकरियों पर प्रभाव डाला है। मई में शी जिनपिंग ने चीनी सेना से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा था, लेकिन यह साफ नहीं है कि चीन किस देश के साथ युद्ध की तैयारी में जुटा है। चीन ने कमांडर-स्तरीय और कूटनीतिक वार्ता के वादों का भी सम्मान नहीं किया है। साथ ही भारत के साथ लगती सीमा के नजदीक निर्माण कार्यों में जुटा है। अमेरिका सहित अन्य देशों से भी उसकी तल्खी है।

यह भी देखें: पैंगोंग झील इलाके में भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ा, इंडियन आर्मी का बयान आया सामने


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.