ट्रंप की नई इमिग्रेशन नीति को लेकर भारत सतर्क, नीति के ऐलान का किया जा रहा है इंतजार
कोविड-19 के बाद से जिस तरह से अमेरिका में 2.2 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की सूचना आई है उसकी वजह से ही ट्रंप ने इस तरह का फैसला किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगर अपने वादे के मुताबिक नौकरी की तलाश में अमेरिका आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हैं तो यह भारत के लिए कई लिहाज से एक बड़ा धक्का होगा। यही वजह है कि भारत सरकार भी ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस बारे में विस्तृत नीति की घोषणा का इंतजार कर रहा है। सरकार के अलावा भारतीय उद्योग जगत भी ट्रंप की तरफ से सोमवार को की गई घोषणा से अचंभित है और नीति के ऐलान का इंतजार कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को टि्वटर पर यह ऐलान किया ''जल्द ही अदृश्य दुश्मन के हमले के मद्देजनर अमेरिकी नागरिकों के रोजगार को बचाने के लिए मैं जल्द ही अमेरिका में इमिग्रेशन (विदेशियों के आगमन) को तत्कालिक तौर पर रद्द करने के लिए एक अधिशासी आदेश पर हस्ताक्षर करने जा रहा हूं।''
अमेरिका में 2.2 करोड़ लोग हुए बेरोजगार
उन्होंने इतने महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव के बारे में और कुछ नहीं बताया है और ना ही यह बताया है कि कब इस बारे में अंतिम फैसला होगा। माना जा रहा है कि कोविड-19 के बाद से जिस तरह से अमेरिका में 2.2 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की सूचना आई है उसकी वजह से ही ट्रंप ने इस तरह का फैसला किया है। यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने काम की तलाश में अमेरिका आने वालों पर रोक लगाने की बात कही हो। अमेरिका हर वर्ष लाट्री के सहारे दूसरे देशों के पेशेवरों को एच1बी वीजा देता है जिसका सबसे ज्यादा फायदा भारत को ही होता है।
तकरीबन तीन लाख भारतीय अमेरिका में कर रहे हैं काम
अमूमन हर वर्ष अमेरिका 80-90 हजार वीजा देता है जिसमें से 70 फीसद से ज्यादा भारतीय कामगारों को ही मिलता है। इस समय भी तकरीबन तीन लाख भारतीय एच1बी वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं। कुछ हफ्ते पहले ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ के साथ वार्ता में कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में इस मुद्दे को उठाया था। उसके बाद ट्रंप प्रशासन कोविड-19 की वजह से अमेरिका में फंसे भारतीय पेशेवरों की वीजा की अवधि बढ़ाने का भी फैसला किया है।
भारतीय कामगारों पर मंडरा रहा है खतरा
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में जब भी अमेरिकी सरकार ने विदेशी पेशेवरों को रोकने की कोशिश की है तो उसका विरोध वहां की कंपनियों ने ही किया है। अब देखना होगा कि जब ट्रंप प्रशासन वहां की कंपनियों को भारी भरकम सब्सिडी दे रही है तो ये कंपनियां विदेशी कामगारों को लाने को लेकर अपने पुराने रूख पर कायम ही रहते हैं या नहीं। कोविड-19 की वजह से अमेरिका की मंदी से वहां की कंपनियों में एच1बी वीजा पर काम करने वाले भारतीय कामगारों को लेकर पहले से ही खतरा मंडरा रहा है।
मौजूदा नियम के मुताबिक इस वीजा पर गये व्यक्ति को अगर एक कंपनी से नौकरी से निकाला जाता है तो उसे 60 दिनों में दूसरी नौकरी पकड़नी होती है। दूसरी नौकरी नहीं मिलने पर उसे स्वदेश लौटना होता है। इमिग्रेशन पर रोक लगाने का ट्रंप प्रशासन का भावी कदम भारत की तमाम आईटी कंपनियों के लिए भी बहुत बडा झटका होगा। अमेरिका में इन्हें काम का ठेका लेने के लिए अब अमेरिकी नागरिकों को ही नौकरी पर रखना होगा जिससे इनकी लागत बढ़ सकती है।