चीन पर आर्थिक नकेल कसने को लेकर भारत-यूएस में बढ़ेगा सहयोग, ट्रंप के तार मोदी से जुड़े
पूर्वी लद्दाख में भारत व चीन की सेनाएं तैनात हैं। तनाव खत्म करने को लेकर बातचीत का अभी तक उत्साहजनक नतीजा नहीं निकला है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस दिन चीन के प्रसिद्ध एप टिकटॉक को प्रतिबंधित करने और अमेरिका को दवा उद्योग में आत्मनिर्भर बनाने का एलान किया उसी दिन भारत व अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच टेलीफोन वार्ता होना महज संयोग नहीं है। ट्रंप प्रशासन के इन दोनों फैसलों के तार भारत से जुड़े हैं। भारत व अमेरिका इस समय चीन पर आर्थिक नकेल कसने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। विदेश मंत्री एस.जयशंकर व अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोंपियो के बीच हुई वार्ता इस सहयोग को आगे बढ़ाने में मददगार होगी।
भारत-अमेरिका गठबंधन चीनी कंपनियों के समक्ष बड़ी प्रतिस्पर्धा करेगा पेश
आने वाले दिनों में 5जी, ई-कामर्स और फार्मा सेक्टर में भारत व अमेरिका के बीच कई तरह के गठबंधन पर बात आगे बढ़ी है। यह गठबंधन इन सेक्टरों की चीनी कंपनियों के समक्ष बड़ी प्रतिस्पर्धा पेश करेगा। भारत व अमेरिका के विदेश मंत्रालयों की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक जयशंकर व पोंपियो के बीच तमाम द्विपक्षीय मुद्दों, हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र पर विस्तार से चर्चा के अलावा अक्टूबर में दोनों देशों के बीच होने वाली टू प्लस टू (विदेश व रक्षा मंत्रियों वाली) वार्ता को लेकर बात हुई है। साथ ही कोरोना से उत्पन्न स्थिति और मौजूदा आर्थिक परिदृश्य से निबटने में भी किस तरह से सहयोग हो, इससे जुड़े विभिन्न आयामों पर भी बात हुई है।
अमेरिका ने चीन के दो मोबाइल एप टिकटॉक और वीचैट पर लगाया प्रतिबंध
जयशंकर व पोंपियो की टेलीफोन वार्ता के कुछ ही देर बाद अमेरिका ने चीन के दो मोबाइल एप टिकटॉक और वीचैट को प्रतिबंधित करने का एलान किया।
अमेरिका को दवा उद्योग में आत्मनिर्भर बनाने का राष्ट्रपति ट्रंप ने किया एलान
इस बारे में जारी राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश में भारत की तरफ से भी चीनी एप पर प्रतिबंध लगाने का जिक्र भी किया गया है। इस कदम के कुछ ही घंटे बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका में निर्मित दवाओं की खरीद को बढ़ावा देने संबंधी आदेश जारी किया।
तकनीकी ढांचा विकसित करने को लेकर भारत व अमेरिका के बीच कई स्तरों पर वार्ता हो रही
सूत्रों का कहना है कि भारत व अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग को लेकर कई स्तरों पर द्विपक्षीय सहयोग वार्ता हो रही है। इसका एक अहम उद्देश्य विश्वसनीय साझा तकनीकी ढांचा विकसित करने की है। यह ढांचा रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बन रहे मजबूत रिश्तों की तरह ही होगा। हाल के दिनों में फेसबुक, इंटेल, क्वालकॉम जैसी अमेरिकी तकनीकी कंपनियों के 5जी सर्विस में उतरने वाली रिलायंस जियो में किए गए निवेश को इसी से जोड़कर देखा जा सकता है।
भारत व अमेरिका के बीच विज्ञान व तकनीकी सहयोग
भारत व अमेरिका के बीच विज्ञान व तकनीकी सहयोग में आगे चल कर दूसरे लोकतांत्रिक देशों को भी शामिल करने की योजना है जो चीन की तकनीकी कंपनियों को लेकर संशकित हैं। सनद रहे कि भारत ने जब से चीन की मोबाइल एप कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है तब से कई देशों में इस तरह के कदम उठाने को लेकर विमर्श शुरू हो गया है। यूरोप के जो देश चीन की 5जी कंपनियों को अनुमति देने को तैयार थे, उनके विचार भी बदल चुके हैं।
पूर्वी लद्दाख में चीन के अतिक्रमण के बाद भारत के फैसले चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले हैं
पूर्वी लद्दाख में चीन के अतिक्रमण के बाद भारत ने एक के बाद एक कई ऐसे फैसले किए हैं जो चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले हैं। अमेरिका ने चीन के अतिक्रमण की निंदा भी की है और भारत के कदमों को जायज भी ठहराया है। पूर्वी लद्दाख में भारत व चीन की सेनाएं तैनात हैं। तनाव खत्म करने को लेकर बातचीत का अभी तक उत्साहजनक नतीजा नहीं निकला है।